Chhattisgarh Culture Council : राज्य बनने के 20 साल बाद संस्कृति की याद

CM Bhupesh Baghel : मुख्यमंत्री होंगे छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के अध्यक्ष, तीजा हरेली और गोवर्धन पूजा पर होगा सरकारी अवकाश

Publish: Jul 18, 2020, 01:43 AM IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस परिषद के माध्यम से प्रदेश की लोक कलाएं प्रोत्साहित होंगी । प्रदेश की कला-संस्कृति संगीत, साहित्य, नृत्य, रंगमंच, चित्रमूर्ति, सिनेमा, आदिवासी एवं लोककलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए मंच प्रदान किया जाएगा।

20 साल बाद हो रहा संस्कृति परिषद का गठन

छत्तीसगढ़ गठन के 20 साल बाद राज्य की कला, संगीत, भाषाई विकास के लिए एक ही छत के नीचे अब एकीकृत प्रयास हो पाएगा। इस परिषद के अंतर्गत संस्कृति विभाग की समस्त इकाइयों को एकरूप किया जाएगा। अविभाजित मध्यप्रदेश में सभी सांस्कृतिक गतिविधियां भोपाल से संचालित की जाती थीं। राज्य गठन के बाद छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा मिला। कई संस्थाएं भी स्थापित हुई, लेकिन उनमें आपसी तालमेल की कमी देखी गई थी। 

छत्तीसगढ़ी की संस्कृति को संरक्षित करने की कवायद

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि सरकार ने छत्तीसगढ़ संस्कृति के संवर्धन के लिए कई कार्य कर रही है। इसी के तहत महिलाओं के पर्व तीजा, किसानों के पर्व हरेली और गोवर्धन पूजा जैसे त्योहारों पर अवकाश की घोषणा की। साथ ही इन त्योहारों को अपने निवास कार्यालय से मनाने की परंपरा की शुरुआत की। प्रदेश की बोलियों गोंड़ी, हल्बी भाषा में पाठ्य पुस्तकें तैयार कर स्कूलों में पढ़ाई शुरू करने का निर्णय लिया गया है।

खान-पान की संस्कृति को संरक्षित करने के लिए सभी जिलों में गढ़कलेवा की स्थापना हुई है। सभी गतिविधियों को संगठित रूप में चलाने की आवश्यकता है, जिससे एक ही दिशा में संगठित रूप से कार्य संचालित किया जा सके।  इसलिए एक समग्र मंच के रूप में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन का निर्णय लिया गया है ।

मुख्यमंत्री होंगे छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के अध्यक्ष

संस्कृति परिषद के अध्यक्ष मुख्यमंत्री और संस्कृति मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। इसके अलावा प्रदेश के साहित्य और कला जगत की जानीमानी हस्तियां, विधायक, सांसद और अशासकीय सदस्य जैसे प्रभागों के निदेशक और अध्यक्ष शामिल होंगे। इनका मनोनयन शासन द्वारा किया जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार पहली बार साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी और आदिवासी तथा लोककला अकादमी के गठन का प्रस्ताव भी मंजूर कर लिया है। मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद साहित्य-कला क्षेत्र के लोग काफी समय से ऐसी अकादमी की जरूरत महसूस कर रहे थे।

नई अकादमी भी छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद की छत्रछाया में ही काम करेगी। पहले से संचालित राजभाषा आयोग, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजनपीठ, बहुआयामी संस्कृति संस्थान, सिंधी साहित्य अकादमी, फिल्म विकास निगम, महंत सर्वेश्वरदास ग्रंथालय, अनुनाद, पुरखौती आदि को भी इसके दायरे में शामिल किया जाएगा। सभी राज्यस्तरीय सम्मान और पुरस्कार भी परिषद द्वारा ही प्रदान किए जाएंगे