Mid day Meal: 50 किलोमीटर पैदल चलकर राशन लेने स्कूल पहुंची छात्राएं

Chhattisgarh: सूखा राशन लेने के लिए जमीन नापी, नाले पार किए, सिर पर राशन रखकर समेली कन्या आश्रम की छात्राओं ने किया सफर, आश्रम प्रबंधक पर होगी कड़ी कार्रवाई

Updated: Aug 12, 2020, 10:47 PM IST

photo courtesy : Bhaskar
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रायपुर। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में छात्राओं को मिड डे मील के लिए अपनी जान जोखिम में डालना पड़ रहा है। राज्य सरकार के हर बच्चे के घर तक मध्याह्न भोजन पहुंचाने के आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। दंतेवाड़ा जिले के नकुलनार में स्कूल प्रबंधन की लापरवाही के कारण छात्राओं को 50 किमी का पैदल सफर करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं छात्राओं को रास्ते में लबालब उफनाते नालों को पार कर जाना पड़ता है। 

दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा ब्लॉक स्थित समेली कन्या आश्रम की छात्राओं को स्कूल तक मध्याह्न भोजन देने के लिए बुलाया गया। छात्राओं को कहा गया कि स्कूल में सूखा राशन बांटा जाएगा। राशन लेने स्कूल की छात्राएं अपने परिजन के साथ मंगलवार को स्कूल पहुंची। इन छात्राओं में से कई छात्राएं 20 से 25 किलो मीटर की सफर तय कर बुरगुम, पोटाली, मिच्चीपारा, गायतापारा इलाकों से स्कूल तक पहुंची।

समेली कन्या आश्रम की छात्राएं मिड-डे मील ले जाने के लिए सुबह उफनते हुए मलगेर नाले को पार कर पहुंची थीं। एक तरफ भारी राशन, दूसरी तरफ नाला। छात्राएं सिर पर राशन रखकर नाला पार करती नजर आईं।

गौरतलब है कि कुआकोंडा इलाके में पिछले दो दिन से लगातार बरसात हो रही है जिससे इलाके के नदी-नाले उफान पर हैं। भरी बरसात में छात्राओं को राशन के लिए समेली कन्या आश्रम प्रबंधन बुलाने पर परिजनों में नाराजगी है। परिजनों का कहना है कि दूसरे स्कूल बच्चों का राशन घर पर पहुंचा रहे हैं। वहीं इस बारे में जिला शिक्षा अधिकारी राजेश कर्मा ने आश्रम प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।   

गौरतलब है कि कोरोना की वजह से प्रदेश के सभी स्कूल बंद हैं।  छत्तीसगढ़ सरकार बच्चों की पढ़ाई और मध्याह्न भोजन का इंतजाम घर बैठे ही कर रही है। बच्चों को पोषण देने के लिए घर-घर जाकर मध्याह्न भोजन बांटा जाता है लेकिन दंतेवाड़ा के समेली कन्या आश्रम में छात्राओं को अपनी जान पर खेल कर मिड डे मील लेने जाना पड़ा।