New Farm Acts: केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ छत्तीसगढ़ में 7 नवंबर से आंदोलन
छत्तीसगढ़ में केंद्रीय कानूनों के विरोध में चरणबद्ध आंदोलन की तैयारी, 7 नवंबर को होगी ट्रैक्टर रैली, केंद्रीय क़ानूनों के ख़िलाफ़ विधानसभा में पेश होने वाले नए विधेयकों के ड्राफ्ट भी तैयार

रायपुर। मोदी सरकार के बनाए नए कृषि कानूनों के खिलाफ छत्तीसगढ़ में भी आंदोलन चलाने की तैयारी हो रही है। प्रदेश में 7 नवंबर से चरणबद्ध आंदोलन शुरू होगा। 7 नवंबर को ट्रैक्टर रैली निकालकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों का लगातार विरोध करती आ रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार के कृषि मंत्री के अनुसार प्रदेश के नए कृषि कानूनों का ड्राफ्ट बनकर तैयार हो गया है। जिसे छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित किया जाएगा। ये नए कानून केंद्र के विवादित कृषि कानूनों को बेअसर बनाने के लिए लाए जाएंगे। गौरतलब है कि विधानसभा का दो दिन का विशेष सत्र 27 और 28 अक्टूबर को रखा गया है। विशेष सत्र में प्रदेश में नए कानून पर चर्चा होगी। केंद्र सरकार के विवादित तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में छत्तीसगढ़ सरकार कानून पास करेगी।
कृषि मंत्री रवीन्द्र चौबे ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार किसानों की धान खरीदी और चावल वितरण योजना सुचारु रूप से चलाना चाहती है। इसके लिए नए कानून की जरूरत है। आपको बता दें कि बीजेपी छत्तीसगढ़ में बने नए ड्राफ्ट के विरोध में है। बीजेपी के सवालों पर कृषि मंत्री ने कहा, उन्हें अपनी केंद्र सरकार से पूछना चाहिए कि उनके नए कृषि कानूनों में समर्थन मूल्य का जिक्र क्यों नहीं किया गया है। मंत्री ने केंद्र सरकार पर किसानों को नुकसान पहुंचाने वाला कानून बनाने का आरोप एक बार फिर लगाया।
सरकार का कहना है कि यदि कृषि कानूनों पर केंद्र की नीयत साफ नहीं है, तभी तो एक देश, एक बाज़ार, एक रेट की घोषणा नहीं की गई है। सरकार का आरोप है कि केंद्र ने कृषि कानून लाकर देश के किसानों को धोखा दिया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर फसल नहीं बिकनी चाहिए। केंद्र ने स्टॉक लिमिट खत्म कर दी है जिससे चीजें महंगी हो रही है।
कृषिमंत्री ने कहा कि स्टॉक लिमिट खत्म होने से अभी तो केवल प्याज के दाम बढ़े हैं, लेकिन भविष्य में दूसरी वस्तुएं भी महंगी होंगी। जिसका कारण केंद्र का नया कृषि कानून है। जिसकी वजह से मूल्य वृद्धि हो रही है, अब राज्य इसमें कुछ नहीं कर पाएंगे। फसल की स्टॉक लिमिट खत्म करने से मूल्य वृद्धि का सामना करना पड़ेगा। भविष्य में दलहन-तिलहन का बंपर स्टाक सुरक्षित रखकर बाजार में ऊंचे दामों पर बेचा जाएगा। यही वजह है कि कांग्रेस इसे किसान विरोधी बता रही है।
सरकार की ओर से सभी जिला कलेक्टरों को प्याज की जमाखोरी रोकने के लिए निर्देश जारी किया गया है। कलेक्टरों को स्टॉक की उपलब्धता और कीमत पर भी नजर रखने को कहा गया है। जिससे प्याज की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाई जा सके। प्रशासन की कड़ाई की वजह से होलसेल मार्केट में प्याज पांच रुपये सस्ती हो गई है। लेकिन फुटकर प्याज अब भी 80 रुपए में बेची जा रही है।