Budget 2021: पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम आंकड़ों की बाज़ीगरी पर बरसे, कहा ये धोखा देने वाला बजट है

चिदंबरम बोले बजट से इतनी निराशा पहले कभी नहीं हुई, सुरजेवाला ने कहा, मोदी सरकार की नीति है “बेच खाएँगे सब कुछ, छोड़ेंगे नहीं अब कुछ”

Updated: Feb 01, 2021, 03:05 PM IST

Photo Courtesy: NDTV
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नई दिल्ली। देश के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने आज संसद में पेश किए गए मोदी सरकार के बजट को धोखा देने वाला बजट करार दिया है। बजट पर प्रतिक्रिया देने के लिए बुलाई गई विशेष प्रेस कॉन्फ़्रेंस में चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस बजट ने देश के लोगों को धोखा दिया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले उन्हें कभी किसी बजट से इतनी निराशा नहीं हुई।

वित्त मंत्री ने बजट भाषण सुन रहे सांसदों को धोखा दिया: चिदंबरम 

चिदंबरम ने कहा कि यह एक ऐसा बजट है जिसने देश के गरीबों, नौकरीपेशा लोगों, मज़दूरों-किसानों, बंद पड़ चुके छोटे उद्योगों और उनके बेरोज़गार हो चुके कामगारों को भी धोखा दिया है। इतना ही नहीं, वित्त मंत्री ने उन सांसदों को भी धोखा दिया, जो उनका भाषण सुन रहे थे। वित्त मंत्री ने उन्हें बताया ही नहीं कि बजट में पेट्रोल-डीजल समेत कई उत्पादों पर सेस यानी उपकर लगाने का प्रस्ताव भी किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करके सरकार ने देश के किसानों और दूसरे आम लोगों पर बोझ बढ़ाने का काम किया है, जो उनके लिए बड़ा धक्का है। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि इस तरह से सेस लगाना देश के संघीय ढाँचे पर भी हमला है, क्योंकि सेस लगाने से हुई आमदनी में राज्यों को कोई हिस्सा नहीं दिया जाता।

 

 

रक्षा बजट में न के बराबर वृद्धि : चिदंबरम

चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्री सीतारमण ने अपने भाषण में डिफ़ेंस बजट का उल्लेख तक नहीं किया, जो बेहद हैरानी की बात है। उन्होंने बजट में पेश आँकड़ों का विश्लेषण करते हुए बताया कि रक्षा बजट में बेहद नगण्य बढ़ोतरी की गई है। और अगर महंगाई को एडजस्ट कर दें तो यह कोई बढ़ोतरी ही नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि तालाबंदी और भयानक बेरोज़दारी से जूझते मंझोले और लघु उद्योग क्षेत्र (MSME) के लिए महज़ 15,700 करोड़ रुपये का आवंटन करके एक लाइन में निपटा दिया गया। चिदंबरम ने कहा कि यह बिलकुल ऐसी है, जैसे भूखे हाथी को खाने के लिए एक मुट्ठी अनाज दे दिया जाए।

स्वास्थ्य बजट में वृद्धि आंकड़ों की बाजीगरी है : चिदंबरम

चिदंबरम ने कहा कि इस बजट में स्वास्थ्य पर होने वाला खर्च बढ़ाने का जो भारी भरकम दावा किया गया है, वह भी आँकड़ों की हेराफेरी पर आधारित है। चिदंबरम ने कहा कि स्वास्थ्य बज़ट में 137% की बढ़ोतरी का दावा सिर्फ़ लोगों को गुमराह करने के लिए किया गया है। हक़ीक़त यह है कि आँकड़ा बढ़ाकर दिखाने के लिए टीकाकरण पर होने वाले 35 हज़ार करोड़ के एकमुश्त खर्च और वित्त आयोग द्वारा दी जाने वाली ग्रांट के साथ ही पीने के पानी और साफ-सफ़ाई पर होने वाले खर्च को भी स्वास्थ्य बजट में जोड़कर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की गई है। चिदंबरम ने कहा कि अगर इन्हें अलग करके सिर्फ़ स्वास्थ्य के बजट का आवंटन देखें तो यह 2020-21 के 72,934 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में महज़ 79,602 ही हुआ है। महंगाई दर को एडजस्ट करने पर यह बढ़ोतरी लगभग शून्य हो जाएगी।

कृषि बजट घटाना किसानों के साथ धोखा : चिदंबरम

चिदंबरम ने कहा कि किसानों के साथ भी इस बजट में धोखा किया गया है। उन्होंने बताया कि नए बजट में सरकार ने कृषि के लिए किया गया कुल आवंटन दरअसल 1,54,775 करोड़ रुपये से घटाकर 1,48,301 करोड़ रुपये कर दिया है। बजट में कृषि क्षेत्र का कुल हिस्सा भी 5.1 फ़ीसदी से घटाकर 4.3 फ़ीसदी कर दिया गया है। इसी तरह प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का बजट भी 75 हज़ार करोड़ रुपये से घटाकर 65 हज़ार करोड़ रुपये किया गया है। चिदंबरम ने कहा कि दरअसल सरकार ने अपने कुल व्यय में भी मुश्किल से 33 हज़ार करोड़ रुपये यानी क़रीब एक फ़ीसदी की बढ़ोतरी की है, जो मौजूदा हालात में कुछ भी नहीं है।

राजकोषीय और राजस्व घाटा कम करने का कोई रोडमैप नहीं : चिदंबरम

चिदंबरम ने कहा कि मौजूदा साल में सरकार का राजकोषीय घाटा 9.5 फ़ीसदी है, जबकि अगले साल इसके 6.8 फ़ीसदी रहने की उम्मीद ज़ाहिर की गई है। इसी तरह राजस्व घाटा इस साल 7.5 फ़ीसदी और अगले साल 5.1 फ़ीसदी रहने का अनुमान भी ज़ाहिर किया गया है। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि राजकोषीय घाटे और राजस्व घाटे के मामले में भी सरकार का यह प्रदर्शन उसके ख़राब वित्तीय मैनेजमेंट को दिखाता है। सरकार ने आने वाले समय में इस घाटे को कम करके तीन फ़ीसदी तक लाने का कोई रोडमैप तक पेश नहीं किया है। इस मामले में सरकार की नाकामी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और निवेशकों के लिए ख़तरे की घंटी साबित हो सकती हैं।

करदाताओं की अनदेखी, सरकारी संस्थानों को खत्म करने की तैयारी : चिदंबरम

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने आयकर में कोई राहत न देकर टैक्स देने वाले कर्मचारियों और मध्य वर्ग के लोगों की पूरी तरह अनदेखी की है। चिदंबरम ने कहा कि सरकारी बैंकों के रीकैपिटलाइजेशन के लिए महज़ 20 हज़ार करोड़ रुपये रखे गए हैं, जो बेहद नाकाफ़ी हैं। इसके साथ ही सरकारी बैंकों को बेचने की तैयारी भी सरकार दिखा रही है। उन्होंने कहा कि सरकारी उपक्रमों को धीरे-धीरे बीमार करके उन्हें बेच देना इस सरकार की रणनीति है, जो देश के लिए बेहद नुक़सानदेह है।

मोदी सरकार की नीति है बेच खाएँगे सबकुछ, छोड़ेंगे नहीं अब कुछ : सुरजेवाला

चिदंबरम के साथ प्रेस कॉन्फ़्रेंस में शामिल कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पूर्व वित्त मंत्री के आकलन को हिंदी में अपने अलग ही अंदाज़ में पेश किया। सुरजेवाला ने कहा कि इस ‘धोखेबाज़ बजट’ में मोदी सरकार की एक ही नीति सामने आती है - “बेच खाएँगे सबकुछ, छोड़ेंगे नहीं अब कुछ।”