कोर सेक्टर्स की ग्रोथ रेट लगातार सातवें महीने गिरी, कब आएंगे इकॉनमी के अच्छे दिन
Core Industries Growth Rate: सितंबर 2020 में देश के 8 प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों की विकास दर माइनस 0.8 फीसदी रही, अप्रैल से सितंबर 2020 के दौरान करीब 15 फीसदी की गिरावट

नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर अभी थमता नज़र नहीं आ रहा है। देश के आठ कोर सेक्टर्स की औसत विकास दर में लगातार सातवें महीने गिरावट दर्ज की गई है। सितंबर के महीने में यह गिरावट माइनस 0.8 फीसदी की रही, जबकि अप्रैल से सितंबर 2020 के छह महीनों के दौरान यह गिरावट 14.9 फीसदी रही है। इन आठ कोर सेक्टर्स को अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है, जिनका देश के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक यानी IIP में 40 फीसदी से ज्यादा वेटेज होता है।
प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी, कच्चे तेल में सबसे ज्यादा गिरावट
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने गुरुवार को जो आंकड़े जारी किए हैं, उनके मुताबिक सितंबर के महीने में सबसे ज्यादा गिरावट प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी और कच्चे तेल के क्षेत्र में देखने को मिली। सितंबर 2020 में इन तीनों क्षेत्रों का उत्पादन सितंबर 2019 के मुकाबले क्रमश: 10.6 फीसदी, 9.5 फीसदी और 6 फीसदी कम रहा। सीमेंट इंडस्ट्री में सितंबर 2019 के मुकाबले सितंबर 2020 में 3.5 फीसदी कम उत्पादन दर्ज किया गया, जबकि फर्टिलाइज़र इंडस्ट्री में 0.3 फीसदी की मामूली गिरावट देखने को मिली।
निराश करते हैं अप्रैल-सितंबर 2020 के आंकड़े
आठ में से तीन उद्योगों में सितंबर 2020 में पिछले साल के मुकाबले बेहतर उत्पादन हुआ, लेकिन अप्रैल से सितंबर के छह महीनों का आंकड़ा देखने पर इनकी हालत भी बहुत अच्छी नज़र नहीं आती है। मिसाल के तौर पर कोयला उद्योग में सितंबर के महीने का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 21.2 फीसदी अधिक रहा। लेकिन अप्रैल से सितंबर के छह महीनों के दौरान इस उद्योग में भी 6.1 फीसदी की गिरावट ही दर्ज की गई। यही हाल स्टील इंडस्ट्री और बिजली उत्पादन का है, जहां सितंबर में क्रमश: 0.9 फीसदी और 3.7 फीसदी की बढ़त आई, लेकिन अप्रैल से सितंबर के दौरान इन सेक्टर्स में भी 26.7 फीसदी और 8.2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। सीमेंट इंडस्ट्री का हाल तो और भी बुरा है, जहां उत्पादन सितंबर में 3.5 फीसदी और अप्रैल से सितंबर के छह महीनों के दौरान 25.1 फीसदी गिरा है।
कोरोना, लॉकडाउन के पहले से बिगड़ चुका था इकॉनमी का हाल
सबसे ज्यादा चिंता की बात तो यह है कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान देश के आठ कोर सेक्टर्स में औसतन 14.9 फीसदी की गिरावट पिछले पूरे साल के खराब प्रदर्शन के बाद देखने को मिल रही है। 2019-20 के पूरे वित्त वर्ष के दौरान इन 8 कोर सेक्टर्स की औसत ग्रोथ सिर्फ 0.4 फीसदी यानी न के बराबर रही थी। अप्रैल से सितंबर 2019 के दौरान भी यह ग्रोथ रेट महज 1.3 फीसदी थी। यानी पहले से कमज़ोर ग्रोथ रेट से तुलना करने के बावजूद इस साल की विकास दर इतनी कमज़ोर है, जो अर्थव्यवस्था में काफी गंभीर समस्या का संकेत है। इन आंकड़ों का एक मतलब यह भी है कि देश की इकॉनमी की रीढ़ समझे जाने वाले इन प्रमुख उद्योगों की हालत कोरोना और लॉकडाउन का संकट आने के पहले से ही खराब चल रही थी।