नोटबंदी एक विनाशकारी निर्णय था, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने बाकी चार जजों की राय से अलग फैसला लिखा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला गैरकानूनी था। इसे गजट नोटिफिकेशन की जगह कानून के जरिए लिया जाना था।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने बहुमत के आधार पर 2016 के नोटबंदी के फैसले को वैध करार दिया है। इस मामले में जस्टिस बी वी नागरत्ना ने अपनी असहमति जताई। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार का 8 नवंबर 2016 का नोटबंदी का फैसला गैरकानूनी था। वहीं मामले पर अब विपक्षी दल कांग्रेस की प्रतिक्रिया भी सामने आई है।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने सोमवार को कहा कि यह कहना पूरी तरह से गुमराह करने वाली और गलत बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को सही ठहराया है। जयराम रमेश ने बयान जारी कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल इस पर फैसला सुनाया है कि क्या रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 26(2) को नोटबंदी की घोषणा से पहले सही ढंग से लागू किया गया या नहीं?
"To say that demonetisation has been upheld by the Honourable Supreme Court is totally misleading and wrong. One Hon’ble Judge in her dissenting opinion has said that Parliament should not have been bypassed."
— Congress (@INCIndia) January 2, 2023
-Shri @Jairam_Ramesh's statement on SC's verdict on Demonetisation. pic.twitter.com/T49ZVRx04h
जयराम रमेश ने जस्टिस बी वी नागरत्ना का नाम लिए बगैर कहा, 'एक माननीय न्यायाधीश ने अपनी असहमतिपूर्ण राय में कहा है कि संसद को दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए था। कोर्ट ने विमुद्रीकरण के प्रभाव पर कुछ नहीं कहा है जो कि एकमात्र विनाशकारी निर्णय था। इसने विकास की गति को नुकसान पहुंचाया,MSME को पंगु बना दिया। अनौपचारिक क्षेत्र को समाप्त कर दिया और लाखों लोगों की आजीविका को नष्ट कर दिया।'
जयराम रमेश के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह कहने के लिए कुछ नहीं है कि नोटबंदी के घोषित उद्देश्य पूरे हुए या नहीं। उन्होंने कहा, 'इनमें से कोई भी लक्ष्य... प्रचलन में मुद्रा को कम करना, कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना, नकली मुद्रा पर अंकुश लगाना, आतंकवाद को समाप्त करना और काले धन का पता लगाना... पूरा नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट के बहुमत का फैसला निर्णय लेने की प्रक्रिया के मुद्दे तक सीमित है न कि इसके परिणामों से यह कहना कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने विमुद्रीकरण को बरकरार रखा है, पूरी तरह से भ्रामक और गलत है।'
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बता दें कि नोटबंदी को लेकर पांच जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि 500 और 1000 के नोट बंद करने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। बेंच ने यह भी कहा कि आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता। संविधान पीठ ने यह फैसला चार-एक के बहुमत से सुनाया। इनमें से जस्टिस बीवी नागरत्ना ने बाकी चार जजों की राय से अलग फैसला लिखा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला गैरकानूनी था। इसे गजट नोटिफिकेशन की जगह कानून के जरिए लिया जाना था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 2016 देश के नाम संदेश में आधी रात से 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद करने का ऐलान किया था। प्रधानमंत्री की घोषणा के 4 घंटे बाद ही ये पुराने नोट चलन से बाहर हो गए थे। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने नोटबंदी की प्रक्रिया को गलत ठहराया है।