Covid 19 Impact: 20 साल में सर्वाधिक राजकोषीय घाटा

Lockdown: कर संग्रह में आई कमी, 1999 के बाद पहली तिमाही का सबसे अधिक राजकोषीय घाटा

Updated: Aug 02, 2020, 05:33 AM IST

Pic: Business Standard
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नई दिल्ली। देश का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ही बजट अनुमान के 83.2 प्रतिशत यानी 6.62 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। इसका मुख्य कारण कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के कारण कर-संग्रह में कमी आना है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान पहली तिमाही के अंत में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 61.4 प्रतिशत पर था।

फरवरी में पेश 2020-21 के आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के लिये राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 7.96 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत रखा था। हालांकि, इन आंकड़ों को कोविड-19 संकट से उत्पन्न आर्थिक व्यवधानों के मद्देनजर संशोधित किया जा सकता है। यह 1999 के बाद पहली तिमाही का सबसे अधिक राजकोषीय घाटा है। 

लेखा महानियंत्रक (सीएजी) के आंकड़ों के अनुसार, जून के अंत में राजकोषीय घाटा 6,62,363 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.6 प्रतिशत पर पहुंच गया था, जो सात साल का उच्च स्तर था। यह मुख्य रूप से राजस्व संग्रह में कमी के कारण था। सीएजी के आंकड़ों के अनुसार, सरकार की राजस्व प्राप्ति 1,50,008 करोड़ रुपये यानी बजट अनुमानों का 7.4 प्रतिशत रही। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के दौरान यह 14.5 प्रतिशत थी।

वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों के दौरान कर से प्राप्त राजस्व 1,34,822 करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 8.2 प्रतिशत रहा। पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान कर राजस्व अनुमान 15.2 प्रतिशत था। सरकार की कुल प्राप्तियां बजट अनुमान का 6.8 प्रतिशत यानी 1,53,581 करोड़ रुपये है। बजट में, सरकार ने कुल प्राप्तियों का अनुमान 22.45 लाख करोड़ रुपये लगाया था।

जून के अंत तक सरकार का कुल खर्च 8,15,944 लाख करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 26.8 प्रतिशत रहा। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के दौरान कुल खर्च 25.9 प्रतिशत था। आंकड़ों से पता चला है कि 1,34,043 करोड़ रुपये राज्य सरकारों को जून तक केंद्र सरकार द्वारा करों के हिस्से के रूप में हस्तांतरित किये गये हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 14,588 करोड़ रुपये कम है।