करोड़ों कर्मचारियों के पीएफ का पैसा भी अडानी को, नुकसान के बावजूद अडानी की झोली भरने में जुटी सरकार

अडानी के जिन दो शेयरों अडानी एंटरप्राइज और अडानी पोर्ट में ईपीएफओ इन्वेस्ट कर रहा है, उनमें गिरावट का दौर अभी भी जारी है।

Updated: Mar 28, 2023, 11:58 AM IST

नई दिल्ली। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में शुरू हुई गिरावट अब भी जारी है।
इन्वेस्टर्स अडानी ग्रुप अडानी ग्रुप में निवेश करने से पहले दस बार सोच रहे हैं। अधिकांश निवेशक अडानी समूह के स्टॉक्स से दूरी बना रहे हैं।इसके बावजूद भी EPFO के रुपए अडानी ग्रुप में इन्वेस्ट किए जा रहे हैं।

देश के 6 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी जो अपने भविष्य को सवांरने के लिए जिस रिटायरमेंट फंड ईपीएफओ में निवेश करते हैं वो अभी भी अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट्स में निवेश कर रहा है। और मार्केट में इन दोनों के गिरावट का दौर अभी भी जारी है। सप्ताह के पहले कारोबारी दिन भी दोनों लाल निशान पर बंद हुए।

जानकारी के मुताबिक रिटायरमेंट फंड ईपीएफओ
इस साल सितंबर तक अडानी समूह के इन दो शेयरों में निवेश करता रहेगा। EPFO के इस कदम से संकट से घिरे उद्योगपति गौतम अडानी के साम्राज्य को भले राहत मिले लेकिन 6 करोड़ कर्मचारियों के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। चूंकि, अडानी समूह के स्टॉक्स में बड़ी गिरावट आई है। ऐसे में इसका असर 2022-23 के लिए ईपीएफओ के तय किए जाने वाले ब्याज दर पर भी असर पड़ेगा। क्योंकि ईपीएफओ को ईटीएफ में किए जाने वाले निवेश पर रिटर्न घटेगा। 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएफ के पैसे अडानी समूह में निवेश किए जाने को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'LIC की पूंजी, अडानी को! SBI की पूंजी, अडानी को! EPFO की पूंजी भी, अडानी को! ‘मोडानी’ के खुलासे के बाद भी, जनता के रिटायरमेंट का पैसा अडानी की कंपनियों में निवेश क्यों किया जा रहा है? प्रधानमंत्री जी, न जांच, न जवाब! आख़िर इतना डर क्यों?'

सवाल ये है कि बीते दो महीने से कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। ऐसे में देश के करोड़ों लोगों के पेंशन का पैसा दांव पर क्यों लगाया जा रहा है? क्या इस बारे में ईपीएफओ ट्रस्ट को कोई जानकारी नहीं थी? ट्रस्ट ने समय रहते कोई कदम क्यों नहीं उठाया? अब तक अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट के कारण ईपीएफओ को कितना नुकसान हो चुका है? क्या किसी के दबाव में आम लोगों की पेंशन का पैसा डूबते अडानी ग्रुप के शेयरों में क्यों खपाया जा रहा है? फिलहाल ये सभी प्रश्न अनुत्तरित हैं।