MP: देवा पारदी मौत मामले में फरार SI को CBI ने किया गिरफ्तार, सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद हुई कार्रवाई

गुना जिले में पुलिस कस्टडी में देवा पारदी की मौत के मामले में फरार SI उत्तम सिंह को CBI ने कोर्ट परिसर से गिरफ्तार किया। वह 2024 से फरार था। सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी न होने पर राज्य और CBI को कड़ी फटकार लगाई थी।

Publish: Sep 27, 2025, 04:00 PM IST

गुना। मध्य प्रदेश के गुना जिले में पुलिस कस्टडी में देवा पारदी की मौत के मामले में बड़ी खबर सामने आई है। लंबे समय से फरार चल रहे सब-इंस्पेक्टर उत्तम सिंह को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया है। सीबीआई अधिकारियों ने कोर्ट परिसर से उसे हिरासत में लिया है।

जानकारी के मुताबिक, उत्तम सिंह ने शुक्रवार को कोर्ट में सरेंडर का आवेदन दिया था। कोर्ट ने 27 सितंबर की तारीख तय की थी। न्यायालय ने इसके लिए सीबीआई को भी बुलाया था। हालांकि, जैसे ही उत्तम सिंह कोर्ट पहुंचा वैसे ही सीबीआई ने उसे वहीं गिरफ्तार कर लिया। CBI उसे अपने साथ ले गई है।

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क्या है पूरा मामला?
यह मामला 15 जुलाई 2024 का है, इस दिन गुना जिले के बीलाखेड़ी गांव निवासी 25 वर्षीय देवा पारदी की बारात गोकुल सिंह चक्क जाने वाली थी। लेकिन शाम करीब 4:30 बजे म्याना पुलिस गांव पहुंची और देवा को उसके चाचा गंगाराम के साथ पूछताछ के लिए थाने ले गई। पुलिस का कहना था कि खंडवा में हुई डकैती के मामले में पूछताछ करनी है।

अगले दिन परिवार को जिला अस्पताल से खबर मिली कि एक पारदी युवक का शव पोस्टमॉर्टम रूम में है। जब परिजन पहुंचे तो उन्हें पता चला कि देवा की मौत हो चुकी है। जांच में सामने आया कि कस्टडी के दौरान देवा के साथ मारपीट हुई थी। इस मामले में म्याना थाने के तत्कालीन टीआई संजीत मावई और एसआई उत्तम सिंह पर आरोप लगाए गए। दोनों पर दो-दो लाख रुपये का इनाम घोषित कर निलंबित कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचे देवा के परिजन
देवा की मौत पर उनकी मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 15 मई 2025 को कोर्ट ने आदेश दिया था कि दोनों आरोपियों को एक महीने में गिरफ्तार किया जाए। लेकिन जब गिरफ्तारी नहीं हुई तो अदालत ने राज्य सरकार और सीबीआई से कड़ी नाराजगी जताई।

सुप्रीम कोर्ट में 23, 25 और 26 सितंबर को लगातार तीन दिन सुनवाई हुई। 23 सितंबर को जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने कहा कि आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही है। अगर हिरासत में फिर कोई घटना हुई तो राज्य सरकार को नहीं छोड़ा जाएगा। साथ ही कोर्ट ने गंगाराम पारदी (देवा का चाचा), जो अभी न्यायिक हिरासत में है, उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।

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25 सितंबर को अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि अप्रैल से दोनों आरोपी फरार बताए जा रहे हैं, फिर उनका निलंबन 24 सितंबर को क्यों हुआ? कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि दोनों को वेतन क्यों मिलता रहा। अदालत ने सीबीआई के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि आरोपियों की निगरानी, बैंक लेन-देन और सोशल मीडिया पर नजर रखने जैसी कोशिशें की गईं लेकिन सफलता नहीं मिली।

26 सितंबर को सुनवाई में जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि अगर आरोपी कोई आम आदमी होता तो अब तक पकड़ा जा चुका होता। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी न होना अदालत की अवमानना है। अंत में अदालत ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी और यदि तब तक गिरफ्तारी नहीं होती है तो राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव और सीबीआई जांच अधिकारी को अदालत में पेश होना पड़ेगा।

हालांकि, अब सीबीआई ने आरोपी उत्तम सिंह को हिरासत में ले लिया है। आरोपी के गिरफ्तार होने के बाद जांच में तेजी आने की उम्मीद है। जानकारी के अनुसार, आरोपी उत्तम सिंह की बेटी की शादी नवंबर में होने वाली है, इस कारण परिवार ने उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए भी समझाया था।

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देवा और गंगाराम पर दर्ज हैं कई मामले
देवा पारदी के खिलाफ मध्यप्रदेश और राजस्थान में आठ आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें हत्या का प्रयास, लूट, डकैती, शासकीय कार्य में बाधा और चोरी शामिल हैं। उसके चाचा गंगाराम उर्फ गंगू पारदी पर भी 16 केस दर्ज हैं। सुरक्षा कारणों से कोर्ट के आदेश पर फिलहाल गंगाराम को ग्वालियर सेंट्रल जेल में रखा गया है।