साइबर वित्तीय धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे का संज्ञान लें, CPIM सांसद ने AePS में फ्रॉड को लेकर PM को लिखा पत्र

AePS भारत में UPI के समान लोकप्रिय नहीं है, फिर भी यह ध्यान रखना होगा कि हर दिन इस प्रणाली का उपयोग करके लगभग 1000 करोड़ की औसत नकद निकासी की जा रही है: सांसद जॉन ब्रिट्स

Updated: Jun 01, 2023, 09:35 AM IST

नई दिल्ली। आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AePS) में कथित फ्रॉड को लेकर सीपीआईएम सांसद जॉन ब्रिट्स ने चिंता जताई है। माकपा सांसद ने इस संबंध में प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मामले को संज्ञान लेने की गुजारिश की है। उन्होंने कहा है कि इस पेमेंट सिस्टम से प्रतिदिन एक हजार करोड़ रुपए के लेनदेन होते हैं।

माकपा के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिट्स ने पीएम मोदी को संबोधित पत्र में कहा कि ऐसे साइबर अपराधों के शिकार आमतौर पर निर्दोष व्यक्ति होते हैं और उनमें से कई कम पढ़े-लिखे और कमजोर वर्ग में होते हैं। उन्होंने पीएम मोदी से वित्त और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों को इन फ्रॉड्स के मामले की देखरेख करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया। 

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माकपा सांसद ने आगे कहा कि (AePS) को उन लोगों को धोखा देने के लिए चतुराई से शोषण किया गया है जिन्हें इसे सहायता के लिए डिज़ाइन किया गया था। हालांकि, AePS यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के समान लोकप्रिय नहीं है तो फिर भी यह ध्यान रखना उचित है कि हर दिन इस प्रणाली का उपयोग करके लगभग 1000 करोड़ की औसत नकद निकासी की जा रही है।

ब्रिट्स ने यह भी उल्लेख किया कि कैसे विशेषज्ञों ने विभिन्न रूपों में ऑनलाइन लोगों के आधार नंबर और अन्य विवरणों की व्यापक उपलब्धता पर प्रकाश डाला था और आधार कैसे जालसाजों के लिए लोगों को निशाना बनाने का एक तरीका बन गया है। उन्होंने कहा कि निर्णायक कार्रवाई के बिना, हम केवल इन घटनाओं के और बढ़ने की उम्मीद कर सकते हैं।

बता दें कि पिछले साल ही में यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AEPS) में एक नया सिक्योरिटी फीचर पेश किया था। इस फीचर का नाम फिंगरप्रिंट 'लाइवलीनेस' है, जिससे AEPS के जरिए पैसा निकालने के लिए फेक फिंगरप्रिंट्स के यूज को रोकने में मदद मिलती है। इस नए सिक्योरिटी फीचर को सॉफ्टवेयर अपग्रेड के जरिए AEPS पॉइंट ऑफ सेल (PoS) मशीनों में ऐड कर दिया गया है। अब PoS यह निर्धारित करने में सक्षम होगा कि इस्तेमाल किया जा रहा फिंगरप्रिंट किसी जीवित व्यक्ति का है या नहीं।