निधि के नाम पर क्यों हो रहा सम्मान के बाद अपमान, पूछ रहा मध्य प्रदेश का बेहाल किसान

चुनाव से पहले बांटी गई पीएम किसान सम्मान निधि की रकम, अब वेरिफिकेशन के नाम पर पैसे लौटाने का मिल रहा नोटिस, कई किसानों को जितनी रक़म मिली थी उससे ज़्यादा वापस करने को कहा जा रहा

Updated: Dec 26, 2020, 01:18 AM IST

Photo Courtesy: Patrika
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भोपाल। मोदी सरकार आज किसान सम्मान निधि योजना के तहत देश के 9 करोड़ किसानों के खातों में 18 हज़ार करोड़ रुपये ट्रांसफर करने का ढिंढोरा पीट रही है। प्रधानमंत्री मोदी देश भर में लगी बड़ी-बड़ी टीवी स्क्रीन के जरिए किसानों को संबोधित करके वाहवाही लूट रहे हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के हज़ारों किसानों को इसी योजना के तहत पहले मिली रकम अब वापस लौटाने के नोटिस थमा दिए गए हैं। जिन किसानों को ऐसे नोटिस मिले हैं, वे पूछ रहे हैं कि आखिर सरकार किसान सम्मान निधि के नाम पर पहले मदद का दावा करने के बाद अब उनका अपमान क्यों कर रही है?

मीडिया में अब तक आई जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश में करीब 2 लाख किसानों को सम्मान निधि का पैसा दिया गया था। लेकिन अब हजारों किसानों को नोटिस भेजकर उनसे सम्मान निधि का पैसा वापस मांगा गया है। किसानों से कहा जा रहा है कि उन्हें ये रकम इसलिए वापस करनी होगी क्योंकि वे सम्मान निधि के पात्र नहीं है। बताया जा रहा है कि प्रदेश में ऐसे करीब 50 हज़ार से ज्यादा किसान हैं, जिन्हें अपात्र बताकर रकम वापसी के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।

चुनावी फायदे के लिए खातों में डाली गई थी रकम : कांग्रेस

कांग्रेस का आरोप है कि उपचुनाव से पहले  वोट पाने के लिए बीजेपी सरकार ने किसानों के खाते में सम्मान निधि की राशि जमा कर दी और जब चुनाव खत्म हो गए तो किसानों को अपात्र बताकर अपमानजनक ढंग से रकम वापस मांगी जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट करके सरकार के इस तरीके पर सवाल उठाया है। 

 

 

 

हालांकि बीजेपी सफाई दे रही है कि केवल अपात्र किसानों से ही सम्मान निधि की राशि वापस मांगी जा रही है। लेकिन वसूली का नोटिस दिए जाने के कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिनसे बीजेपी के इन दावों पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। 

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एक एकड़ जमीन के मालिक को बताया आयकर दाता

ऐसा ही एक मामला सीहोर जिले के अमला गांव का है, जहां एक गरीब किसान लोकेंद्र को सरकार की तरफ से 10 हजार रुपए की वसूली का नोटिस मिला है। इस नोटिस को देखकर लोकेंद्र के पैरों तले जमीन खिसक गई है। किसान के पास केवल एक एकड़ जमीन है, इस साल सोयाबीन की फसल भी बरबाद हो गई, फिर भी उन्हें आयकरदाता बता कर उन्हें अपात्र घोषित किया गया है। इतना ही नहीं, उनके खाते में सरकार ने महज 8 हजार रुपए की रकम डाली थी, लेकिन अब उन्हें 10 हजार रुपए की रिकवरी का नोटिस भेज दिया गया है। किसान का कहना है कि वह ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं। उन्होंने कभी आयकर भरा ही नहीं फिर भी उन्हें किसान सम्मान निधि योजना में अपात्र बताया जा रहा है।

8 हजार रुपए देकर किसान को भेजा 10 हजार लौटाने का नोटिस

 सीहोर जिले के ही एक और किसान बलराम को भी अब तक केवल 8 हजार रुपए मिले हैं, लेकिन अब उनके पास 10 हजार रुपए जमा करने का नोटिस आय़ा है। परेशान हाल किसान का कहना है कि उनकी सोयाबीन की फसल नहीं हुई। जो रकम खाते में आई थी उससे खाद बीज खरीद लिए हैं, अब पैसा कहां से लौटाए।

पति पर बना रहे पत्नी की सम्मान निधि राशि लौटाने का दबाव

हरदा के किसान शैलेंद्र वर्मा और उनकी पत्नी को भी तहसीलदार की ओर से रकम वापसी का नोटिस मिला है। अब उन पर एक खाते में मिली सम्मान निधि की राशि लौटाने का दबाव बनाया जा रहा है। ये तो महज एक बानगी है, जहां किसानों के खाते में पहले तो सम्मान निधि भेज दी गई और अब उन्हें अपात्र बताया जा रहा है। प्रदेश के कई इलाकों में ऐसे किसान भी मौजूद हैं, जिन्हें योजना के तहत पात्रता होने के बावजूद पीएम किसान सम्मान निधि योजना का कोई लाभ नहीं मिला है।

पात्र किसानों को पीएम सम्मान निधि योजना का लाभ देने का दावा

बीजेपी सरकार बार-बार दोहरा रही है कि किसानों को पात्रता के हिसाब से ही सम्मान निधि योजना का लाभ मिलेगा। लेकिन सवाल यह है कि चुनाव के पहले किसानों के खातों में पैसे जमा कराने से पहले ही पात्र और अपात्र का सही ढंग से फैसला क्यों नहीं किया गया? अब चुनाव बीत जाने के बाद ही सरकार को उन नियम कायदों की याद क्यों आ रही है? वेरीफिकेशन की जो कवायद अब की जा रही है वो पहले क्यों नहीं की गई?