जब बर्बाद फसल से लिपट कर रोया किसान, ओले के अत्याचार ने तोड़ी हर उम्मीद

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर का मामला, कर्ज़ में डूबे किसान से देखी नहीं गई फसल की बर्बादी, दुख का बोझ उठाया नहीं गया तो खेत में लोटने लगे सज्जन सिंह मेवाड़ा

Updated: Mar 14, 2021, 06:19 AM IST

सीहोर/भोपाल। खेतों में खड़ी फसल रातों-रात बर्बाद हो जाए तो किसान की सारी उम्मीदें, भविष्य की तमाम योजनाएं निराशा में बदल जाती हैं। महीनों की मेहनत पल भर में मिट्टी में मिल जाती है। गेहूं की लहलहाती बालियां खेत में लोटने लगें तो किसान का हौसला भी उनके साथ ही दम तोड़ने लगता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर से एक किसान की ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो अन्नदाता के इस दर्द की गहराई को बड़ी खामोशी से बयान कर रही हैं। ये तस्वीरें ऐसी हैं, जिन्हें देखकर किसी भी संवेदनशील इंसान का मन बोझिल हो जाएगा।

भोपाल सहित प्रदेश के कई इलाकों में बारिश और ओले शुक्रवार की रात किसानों के लिए काल बनकर बरसे। बेमौसम की बारिश और ओलों की बौछार ने सीहोर जिले चंदेरी गांव के रहने वाले सज्जन सिंह मेवाड़ा की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया। सज्जन सिंह शनिवार की सुबह जब अपने खेतों का हाल जानने पहुंचे तो फसल की बर्बादी का मंज़र उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ। बैंक के कर्ज में डूबे सज्जन सिंह धरती पर बिछे गेहूं के पौधों को देखकर इस कदर टूटे कि खुद भी उनके साथ ही लेट गए। फसल से लिपटकर ऐसे रोने लगे जैसे कोई अपने सगे-संबंधी से लिपटकर अपना दुख बांट रहा हो।  

खेत में लोटते अन्नदाता की यह तस्वीर सिर्फ सज्जन सिंह की नहीं है। यह तस्वीर देश के उन तमाम किसानों की नुमाइंदगी करती है, जिन्हें कुदरत के कहर ने बार-बार ठोकर मारी है। जिन्हें बाज़ार ने, साहूकार ने और सरकार ने बार-बार ठगा है, फंसाया है और झूठे वादों में भरमाकर लूटा है। यह वो किसान है जो प्रकृति के कोप से लड़कर देश के लिए रोटी का इंतज़ाम करता है, लेकिन जिसकी अपनी रोज़ी किसी के कर्ज़ में डूबी होती है। यह तस्वीर कई अहम सवाल भी पूछ रही है। सवाल ये कि विकास के तमाम दावों के बावजूद देश के किसान मुश्किल वक्त में इतने अकेले, इतने बेसहारा क्यों नज़र आते हैं? जब अन्नदाता के उगाए अन्न पर सारा देश पलता है, तो कुदरत की सारी मार झेलने के लिए, बर्बादी का सारा बोझ उठाने के लिए किसान को अकेला क्यों छोड़ दिया जाता है? इतना अकेला कि ओलों की बौछार के आगे सिर्फ गेहूं के पौधे ही नहीं, उसकी कमर भी टूट जाती है।