दुनियाभर में टीबी के सबसे ज्यादा मरीज भारत में, WHO की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
ट्यूबरकुलोसिस का खतरा उन लोगों को सबसे अधिक होता है जिन्हें पहले से कोई बड़ी बीमारी जैसे कि एड्स या डायबिटीज आदि होती है।
ट्यूबरकुलोसिस को आम बोलचाल की भाषा में टीबी कहते हैं। यह शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, फेफड़ों में होने वाला टीबी सबसे आम होता है। कोरोना की तरह फेफड़ों में होने वाला टीबी भी खांसी और छींक के द्वारा एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। ट्यूबरकुलोसिस का खतरा उन लोगों को सबसे अधिक होता है जिन्हें पहले से कोई बड़ी बीमारी जैसे कि एड्स या डायबिटीज आदि होती है। साथ ही, जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है उन्हें भी इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। ये हमारे लिए बहुत ही खतरनाक बीमारी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यू एच ओ) ने टीबी को लेकर इस साल की ग्लोबल रिपोर्ट जारी की है। भारत के लिए इसमें अच्छी और बुरी दोनों खबरे हैं। साल दर साल भारत अपने यहां टीबी मरीजों को काबू करने में कामयाब तो हो रहा है, लेकिन इस बीमारी की रेस में अब भी दुनिया से पिछड़ा है। दुनिया के सबसे ज्यादा टीबी मरीज भारत में हैं। पूरी दुनिया में बीते साल 75 लाख लोगों को टीबी की बीमारी हुई। इनमें से 4 लाख लोग ऐसे हैं, जिन्हें एमडीआर टीबी यानी मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी हो गया। इन मरीजों पर टीबी की कोई दवा असर नहीं कर रही। ऐसा आमतौर पर दवाओं को बार-बार बीच में छोड़ देने से होता है और ये टीबी लगभग लाइलाज हो जाता है। साल 2022 में टीबी का शिकार होने वालों में 55% पुरुष, 33% महिलाएं और 12% बच्चे हैं। इनमें से 13 लाख लोगों की मौत हो गई।
जबकि दुनिया भर में औसतन हर साल 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को टीबी हो रही है। औसतन हर 10 हजार में से 133 लोगों को हर साल टीबी हो जाता है। भारत में ये आंकड़ा 10 हजार पर 210 मरीजों का है। भारत इंडोनेशिया और फिलीपींस से टीबी मरीजों में सबसे ज्यादा कमी दर्ज की गई है। इन तीन देशों से ही कुल मिलाकर 60 प्रतिशत केस घट गए, लेकिन दुनिया भर में टीबी मरीजों में इजाफा करने वालों में भारत पहले नंबर पर है। भारत से कुल केस के 27% मामले दर्ज हो रहे हैं। दुनिया के 8 देशों से कुल केस के 2 तिहाई केस रिपोर्ट हो रहे हैं।
किस देश की कितनी भागीदारी
भारत: 27%
इंडोनेशिया: 10%
चीन: 7%
फिलिपींस: 7%
पाकिस्तान: 5.7%
नाइजीरिया: 4.5%
बांग्लादेश: 3.6%
कांगो: 3%
इस साल से सरकार ने टीबी मरीजों की रिपोर्टिंग दर्ज करने के लिए नए सिस्टम को लागू किया है। इसकी वजह से डबल्यूएचओ में जो आंकड़ें दर्ज हुए हैं, उनमें इस वर्ष सुधार किया गया है। इससे भारत का ग्राफ पहले से बेहतर है, लेकिन फिर भी टीबी मरीजों के मामले में भारत लक्ष्य से बहुत पीछे है। दुनिया समेत भारत का लक्ष्य 2025 यानी अगले दो सालों में टीबी मुक्त होने का है। दुनिया के किसी भी कोने में टीबी मरीज के होने का मतलब है कि कोई भी देश खुद को टीबी से सुरक्षित नहीं मान सकता। भारत में फिलहाल आंकड़े यहीं बता रहे हैं कि सभी के लिए ये लक्ष्य मुश्किल होगा।