सूर्य की सतह पर दिखा विशालकाय छेद, पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है इस छेद से निकला भू-चुंबकीय तूफान

सूर्य की सतह पर विशालकाय कोरोनल होल को देखा गया है। इस होल से निकला भू-चुंबकीय तूफान तेजी से हमारी पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। इससे पृथ्वी के एक बड़े भू-चुंबकीय तूफान में फंसने की आशंका गहरा गई है।

Updated: Mar 30, 2023, 12:38 PM IST

वॉशिंगटन। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को सूर्य की सतह पर एक बड़ा छिद्र दिखा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार, इस छेद का आकार हमारी पृथ्वी से 20 गुना बड़ा है। इस छेद को कोरोनल होल के नाम से जाना जाता है। यह देखने में एक काला और अंधेरा छेद लगता है, जहां से सूर्य की रोशनी गायब हो गई है। सूर्य में इस भारी-भरकम छेद को देखते हुए अमेरिकी फेडरल एजेंसी एनओएए को भू-चुंबकीय तूफानों की चेतावनी जारी की है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक सूर्य के इस छेद से पृथ्वी की ओर 29 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सौर हवाएं निकल रही हैं, जिनके शुक्रवार को पृथ्वी से टकराने की आशंका है। इसका असर भी धीरे-धीरे देखने को मिलने लगा है। अब वैज्ञानिक इसको रोकने के तरीकों को खोज रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि ये हवाएं जिस तेजी के साथ आ रही हैं, शुक्रवार को पृथ्वी से टकरा सकती हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो हवाओं को रोकने का कोई भी खास इंतजाम अभी नहीं है। हवाओं का क्या असर पड़ेगा इस पर भी कुछ नहीं कहा जा सकता है।

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शुरुआती जानकारी के मुताबिक सूर्य से निकल रहे सौर तूफानों का निरंतर प्रवाह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र, उपग्रहों, मोबाइल फोन और जीपीएस को प्रभावित कर सकता है। वैज्ञानिकाे की मानें ताे ये एक गंभीर चिंता का विषय है। इसकाे लेकर दिन रात अध्यन चल रहा है। काफी कुछ चीजें वैज्ञानिकाें काे समझ में भी आ गई है।जिसपर तेजी से काम शुरू हाे गया है। 

नासा के अनुसार, सूर्य के सतह में काले रंग के छेद को कोरोलन होल कहा जाता है। ये सूर्य की सतह पर काले क्षेत्र के रूप में दिखाई देते हैं। इसका कारण है कि उनके आसपास के प्लाज्मा की तुलनामें ये ठंडे और कम घने क्षेत्र होते हैं। इनसे भू-चुंबकीय तूफान पैदा होते हैं, जो अंतरिक्ष के जरिए अलग-अलग ग्रहों से जाकर टकराते हैं। कई बार इनका प्रवाह पृथ्वी की ओर होता है।

नासा गोडार्ड के हेलियोफिजिक्स साइंस डिवीजन के एलेक्स यंग ने बिजनेस इनसाइडर को बताया कि मौजूदा कोरोनल होल अभी बहुत बड़ा है। इसकी लंबाई 300,000 और चौड़ाई 400,000 किलोमीटर है। इसमें एक के बाद एक करके 20 से 30 पृथ्वी समा सकती है। ऐसे में इस छेद से सौर तूफान के निकलने की मात्रा भी काफी ज्यादा होगी।