द्वितीय विश्व युद्ध के बाद साल 2020 जापानी समाज के लिये सबसे बुरा, शादियों में ऐतिहासिक कमी, जन्म दर भी घटा

जापान में शादियों की संख्या में 12.3 फ़ीसदी की कमी आयी है और इसका असर जन्म दर पर भी देखने को मिला है..2020 में फर्टिलिटी रेट गिरकर 1.34 फीसदी तक जा पहुंचा जो दुनिया में सबसे कम है

Updated: Jun 04, 2021, 03:23 PM IST

Photo Courtesy: manhattan bride
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टोक्यो। चीन और भारत समेत दुनियाभर के देश जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक ओर जहां काफी जद्दोजहद कर रहे हैं, वहीं दुनिया के ताकतवर देशों में शुमार जापान की चिंता जन्म दर बढ़ाने को लेकर बनी हुई है। जापान के समाज के लिए महामारी का ये साल बेहद बुरा साबित हुआ है। लोगों ने शादियां करनी कम कर दी है.. और इसका सीधा असर देश में बच्चों के जन्मदर पर पड़ा है। हालात ये हैं कि पहले से ही दुनिया की सबसे ज्यादा उम्रदराज सोसायटी माना जानेवाला जापान साल 2020 में अपने बच्चों की न्यूनतम दर के लिए सुर्खियों में आ गया है। यहां बच्चों के जन्म दर में लगभग डेढ़ फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि शादियों की संख्या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे कम रही है।

टेक्नोलॉजी के मामले दुनिया का टॉप देशों में शुमार जापान बच्चे पैदा करने में फिसड्डी हो गया है। देश की ये हालत जापान सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। साल 2020 में जापान में महज 8 लाख 40 हजार 832 बच्चों ने जन्म लिया है। यानी कि 2019 के मुकाबले 2020 में 2.8 फीसदी बच्चे कम पैदा हुए हैं। जापान के स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि सन 1899 के बाद से जापान ने बर्थ रिकॉर्ड रखना शुरू किया है तब से लेकर अबतक 2020 में सबसे कम बच्चे पैदा हुए हैं।

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कोरोना के दौरान जापान में बच्चे पैदा न होने का मुख्य कारण विवाह दर में हुई गिरावट को माना जा रहा है। दरअसल, कोरोना काल के दौरान जापान के लोगों ने विवाह ही नहीं किया। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक साल 2019 के मुकाबले जापान में 12.3 फीसदी शादियां कम हुईं। साथ ही जापान का फर्टिलिटी रेट गिरकर 1.34 फीसदी तक जा पहुंचा जो दुनिया में सबसे कम है। इस दौरान जापान की राजधानी टोक्यो में सबसे कम 1.13 फीसदी जन्मदर दर्ज की गई।

चिंता की बात यह है कि इस साल बर्थ रेट में 2020 की तुलना में और ज्यादा गिरावट आने की संभावना है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक कोरोना के कारण जनवरी से लेकर मार्च तक बच्चों के जन्म में 9.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। जापान में नवजात शिशुओं की संख्या में कमी साल 1973 से ही देखी जा रही है। पिछले कुछ सालों में बच्चे जन्म देने वाली माताओं की उम्र में भी बढ़ोतरी हुई है।

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जापान में औसतन 30.7 साल की उम्र होने पर कोई महिला पहले बच्चे को जन्म देती है। जापान के लोगों में बच्चा पैदा करने को लेकर उदासीन रवैया तब है जब सरकार बच्चे पैदा करने पर लाखों रुपए नगद इनाम देती है। यहां लोग जितना ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं वैसे-वैसे इनाम की राशि बढ़ती जाती है। इतना सब के बावजूद यहां बुजुर्गों की संख्या बढ़ती ज रही है। देश की 28 फीसदी से ज्यादा आबादी 65 वर्ष से ज्यादा की है। इसी वजह से जापान को दुनिया का सबसे बुजुर्ग देश भी कहा जाता है।