हाइड्रोक्लोरोक्वीन के बाद भारत की पेरासिटामोल की मांग

हाइड्रोक्लोरोक्वीन के बाद अब भारत द्वारा निर्मित पेरासिटामोल की भी विदेशों में मांग हो गई है। हाइड्रोक्लोरोक्वीन को 55 देशों में भेजा जा रहा है। अब पेरासिटामोल ब्रिटिश बाजारों में भी बिकने वाली है।

Publish: Apr 20, 2020, 12:38 AM IST

हाइड्रोक्लोरोक्वीन के बाद अब भारत द्वारा निर्मित पेरासिटामोल की भी विदेशों में मांग हो गई है। हाइड्रोक्लोरोक्वीन को 55 देशों में भेजा जा रहा है। अब पेरासिटामोल ब्रिटिश बाजारों में भी बिकने वाली है। नयी दिल्ली से इन दवाओं को विभिन्न देशों में भेजा जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार कोविड-19 के लक्षणों में आई-ब्रूफेन की जगह पेरासिटामोल अधिक कारगर है। पेरासिटामोल दर्द से राहत देने वाली दवा है । भारत में डॉक्टर मरीजों का तेज बुखार कम करने के लिए इसी दवा का उपयोग कर रहे हैं।

मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद होने वाले बुखार, दर्द और सूजन में ली जाने वाली दवा आई-ब्रूफेन का इस्तेमाल करने की जगह पेरासिटामोल का इस्तेमाल करने को ज्यादा सही माना गया है।

अंग्रेजी वेबसाइट डीएनए इंडिया के मुताबिक, ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्ता ने कहा कि हम भारत सरकार को ब्रिटेन में पेरासिटामोल के 2.8 मिलियन पैकेट के निर्यात की मंजूरी के लिए दिल से धन्यवाद करते हैं। यह दवाएं यहां प्रमुख सुपरमार्केट और खुदरा विक्रेताओं को वितरित की जाएगी।"

गौरतलब है कि ब्रिटेन में कोविड-19 के कारण अब तक 15,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और एक लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं।