लॉकडाउन : प्रकृति मुस्कुरा रही है ...

कोविड-19 वायरस का प्रसार रोकने के लिए 24 मार्च से लागू हुए लॉकडाउन ने इंसानों को घरों में कैद कर दिया है और यह सभी जीवों के लिए खुल कर जीने का अवसर ले कर आया है।

Publish: Mar 30, 2020, 04:18 AM IST

kumar vishvas post beautiful sky of delhi
kumar vishvas post beautiful sky of delhi

इनदिनों ऐसा लग रहा है जैसे इंसान का हस्त क्षेप बंद हुआ तो प्रकृति अपने पूरे विन्याकस में मुस्कुारा उठी। इन दिनों देश भर से लगातार ये सूचनाएं मिल रही हैं कि महानगरों की सूनी पड़ी सड़कों पर अब वन्यजीव टहलते नजर आ रहे हैं। ये वही स्थान हैं जहाँ हाल ही में नगरों का विस्तार हुआ है।प्रदूषण का स्तर कम हुआ है। ओजोन परत में सुधार हो रहा है। दिल्‍ली केे आसमान की एक तस्‍वीर पोस्‍ट करते हुुुए कवि कुमार विश्‍वास ने लिखा है कि लॉकडाउन ख़त्म हो जाए तो कुछ देर हम सब ज़रा ये भी सोचें कि हम इंसानों ने इस प्रकृति के साथ किया क्या है? तथाकथित इंसानी तरक़्क़ी का शोर थमे अभी 2 दिन ही हुए हैं कि आसमान अपने मूल रूप में लौट रहा है! मैंने अपने गवाक्ष से इतना स्वच्छ नीलाम्बर कभी नहीं देखा! 

ओड़ि‍शा के तट पर इस बार सात लाख नब्बे हजार ओलिव रिडले कछुए पहुंचे हैं। इन्होंने अपने समुद्र में कब्जा कर लिया है। इन कछुओं ने गहिरमाथा और रूसीकुल्य में छह करोड़ से ज्यादा अंडे दिए हैं। कोरोना वायरस के चलते मछुआरों और टूरिस्टों की गतिविधि ठप पड़ी है। माना जा रहा है कि इसी के चलते इतनी बड़ी संख्या में इस बार कछुए पहुंच सके हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर इंसानों की गतिविधियां सीमित नहीं होती तो इनमें से बहुत सारे रास्ते में ही मारे जाते या फिर अन्य बाधाओं के चलते पहुंच ही नहीं पाते।