PTI की पत्रकारिता पर सरकार की टेढ़ी नजर
PTI : प्रसार भारती ने दी सेवा खत्म करने की चेतावनी, राष्ट्र हित को नुकसान पहुंचाने का आरोप
देश के सार्वजनिक प्रसारणकर्ता प्रसार भारती का कहना है कि देश की सबसे बड़ी न्यूज एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया PTI की पत्रकारिता राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा रही है। इस आधार पर प्रसार भारती ने पीटीआई द्वारा ली जा रही सेवाओं की समीक्षा करने और एजेंसी से अपने रिश्ते खत्म करने की धमकी दी है। इस संबंध में प्रसार भारती ने 27 जून को पीटीआई को एक पत्र भी लिखा। जानकारों का मानना है कि इससे पहले आखिरी बार ऐसा पत्र 1976 में इमरजेंसी के दौरान लिखा गया था।
असल में भारत चीन के बीच जारी तनाव के बीच पीटीआई ने बीते दिनों दो साक्षात्कार प्रकाशित किए। इनमें से एक साक्षात्कार चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी का है और दूसरा भारत में चीन के राजदूत सुन वेदोंग का। इन दोनों साक्षात्कारों के प्रकाशित होते ही न्यूज एजेंसी बीजेपी समर्थकों और दक्षिणपंथी समूहों के निशाने पर आ गई। इसके बाद सरकार के नियंत्रण से स्वतंत्र माने जाने वाले निकाय प्रसार भारती ने एजेंसी को पत्र लिखकर धमकी दी है। चिट्ठी में लिखा है कि न्यूज एजेंसी की रिपोर्टिंग राष्ट्रहित में नुकसानदेह है। सूत्रों के अनुसार इस चिट्ठी का असर प्रसार भारती के साथ पीटीआई के करार पर भी पड़ सकता है।
27 जून की रात में पीटीआई ने चीन में भारत के राजदूत के साक्षात्कार की प्रमुख बातों पर ट्वीट किया। इनमें से एक ट्वीट के मुताबिक भारत के राजदूत ने कहा कि भारत आशा करता है कि चीन जल्द ही LAC छोड़कर अपनी सीमा में चला जाएगा। हालांकि, बाद में जब एजेंसी ने पूरा साक्षात्कार प्रकाशित किया तो उसें विक्रम मिसरी की ‘चीन के वापस चले जाने’ की बात नहीं थी। हालांकि, पीटीआई ने अभी तक अपना वह मूल ट्वीट नहीं हटाया है, जिसमें चीन के वापस जाने की बात राजदूत कर रहे हैं। विदेश मंत्री ने भी इस संदर्भ में अभी तक कोई सफाई नहीं दी है।
India hopes China will realise its responsibility in de-escalation and disengaging by moving back to its side of LAC: Indian envoy to China
— Press Trust of India (@PTI_News) June 26, 2020
चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी का यह कहना (कि भारत आशा करता है कि चीन एलएसी से अपनी सीमा की तरफ चला जाए) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस कथन के खिलाफ है जिसमें उन्होंने कहा था कि ना ही कोई हमारी सीमा में घुसा आया है, घुसा हुआ है और ना ही हमारी पोस्ट पर किसी का कब्जा हुआ है। प्रधानमंत्री के इस बयान को गलवान घाटी पर अपनी संप्रभुता दिखाने के लिए चीन के मीडिया ने खूब चलाया। बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री गलवान घाटी की बात नहीं कर रहे थे।
इस साक्षात्कार के अलावा पीटीआई ने 25 जून को भारत में चीन के राजदूत सुन वेदोंग का भी साक्षात्कार किया था। जिसमें उन्होंने 15 जून को गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के लिए पूरी तरह से भारत को जिम्मेदार ठहरा दिया। बाद में चीनी दूतावास ने उस साक्षात्कार की एक ट्रांस्क्रिप्ट जारी की। पीटीआई के सूत्रों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि चीनी दूतावास ने जो ट्रांस्क्रिप्ट जारी की, वह चीन के प्रोपेगेंडा के हिसाब मूल साक्षात्कार में बदलाव कर जारी की गई।
अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ के मुताबिक मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में अपने मन के आदमी को पीटीआई का संपादक बनाने की कोशिश की थी, लेकिन पीटीआई बोर्ड ने एजेंसी में पहले काम कर चुके और एक प्रोफेशनल पत्रकार को ही एजेंसी का संपादक नियुक्त किया। तभी से पीटीआई की सेवाओं पर सबकी नजरें हैं। पीटीआई को नोटिस के संबंध में पत्रकार अरविंद गुनासेकर ने ट्वीट किया है कि इस तरह का नोटिस आपातकाल के समय 1976 में प्रसार भारती/एआईआर ने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया को जारी किया था।
Last time Prasar Bharati / AIR issued similar ‘notice’ to Press Trust of India was in 1976.
— Arvind Gunasekar (@arvindgunasekar) June 27, 2020
Yeah, it’s EMERGENCY !
Source: New Agencies From Pegion To Internet by KM Shrivastava pic.twitter.com/FgF47gyk2i
बताया यह भी जा रहा है कि अगर प्रसार भारती पीटीआई के साथ अपने रिश्ते खत्म करता है तो इसका सीधा फायदा सरकार की ‘पसंदीदा’ न्यूज एजेंसी एएनआई को होगा। इसके साथ ही फायदा एक दूसरी न्यूज एजेंसी ‘हिंदुस्तान समाचार’ को भी होगा। हिंदुस्तान समाचार की स्थापना विश्व हिंदू परिषद के संस्थापक एसएस आप्टे ने 1948 में की थी और इसे 2014 में मोदी सरकार आ जाने के बाद वापस से खड़ा किया गया था।
विशेषज्ञ यह मानते हैं कि बीते कुछ समय से देशभर में यह माहौल बना है कि सरकार का हित ही देशहित है और सरकार की आलोचना या फिर उससे अलग राय होना राष्ट्रदोह है या राष्ट्रहित के खिलाफ है। पीटीआई द्वारा प्रधानमंत्री के बयान से इतर बात कहने वाले विक्रम मिसरी का साक्षात्कार प्रकाशित करने को भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। शायद इसीलिए पीटीआई को प्रसार भारती की तरफ से धमकी मिली है।