France-Turkey: मैक्रां की इस्लाम पर टिप्पणी के बाद तुर्की के राष्ट्रपति ने की फ्रांस के बहिष्कार की अपील

पेरिस में एक शिक्षक की हत्या के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति ने इस्लाम को संकट में पड़ा धर्म बताया था, उनके ऊपर लग रहे हैं इस्लामोफोबिया फैलाने के आरोप

Updated: Oct 27, 2020, 08:21 PM IST

Photo Courtesy: Indian Express
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अंकारा/पेरिस। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां द्वारा इस्लाम को लेकर की गई टिप्पणी पर तुर्की के राष्ट्रपति तैयब एर्दोगन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि मैक्रां को मानसिक इलाज की जरूरत है। साथ ही साथ एर्दोगन ने तुर्की की जनता से फ्रांस से आने वाले उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील की है। तुर्की और फ्रांस के बीच लीबिया में गृहयुद्ध और भूमध्यसागर में तेल की खोज को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा है। 

फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा था कि पूरी दुनिया में इस्लाम खतरे से गुजर रहा है और वे इस्लामिक चरमपंथ पर नियंत्रण के लिए जरूरी कदम उठाएंगे। उनका यह बयान पेरिस में एक शिक्षक की वीभत्स हत्या के बाद आया था। पेरिस में अभिव्यक्ति की आजादी पर चर्चा के लिए सैमुएल पैटी नाम के शिक्षक ने अपनी क्लास में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून दिखाए थे। जिसके बाद उनके ही एक छात्र ने उनकी हत्या कर दी थी। फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा था कि फ्रांस कभी भी कार्टून बनाना नहीं छोड़ेगा और हम इस्लाम को फ्रांस की धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के तहत ढालेंगे। 

उनके इस बयान को इस्लामोफोबिक बताते हुए तुर्की के अलावा पाकिस्तान, ईरान और कुछ अरब देश भी फ्रांस का बहिष्कार करने की बात कह चुके हैं। वक्त के साथ-साथ यह विवाद बढ़ता ही जा रहा है। अनेक मुस्लिम बहुसंख्यक देशों में मैक्रां के खिलाफ विरोध रैलियां भी निकाली जा रही हैं।

तैयब एर्दोगन ने कहा, "मैं अपने लोगों से अपील करता हूं कि फ्रांस के ब्रांड्स पर ध्यान भी ना दें। उन्हें मत खरीदें। इस्लाम और मुसलमानों को लेकर आखिर मैक्रां को क्या दिक्कत है? मैक्रां को मानसिक इलाज की जरूरत है।"

फ्रांस में यूरोप की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है। अनुमान है कि देश में करीब 60 लाख मुस्लिम रहते हैं। मैक्रां का मानना है कि यह आबादी बिल्कुल अलग नियम कानूनों के साथ रह रही है और इसे फ्रांस के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के तहत ढालना जरूरी है। 

आर्मेनिया और अजरबैजान संघर्ष को लेकर भी दोनों देशों के बीच विवाद है। फ्रांस का आरोप है कि तुर्की आर्मेनिया में अपने लड़ाके भेज रहा है ताकि अजरबैजान नागोर्नो काराबाख पर अपना कब्जा कर ले। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार नागोर्नो काराबाख अजरबैजान का हिस्सा है। वहां फिलहाल आर्मेनिया के नेतृत्व वाली समांनांतर सरकार चल रही है। फ्रांस का कहना है कि नागार्नो काराबाख पर अजरबैजान का कब्जा हो जाना किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं होगा। ग्रीस और साइप्रस के बीच विवाद को लेकर भी दोनों देश एक दूसरे के सामने आ चुके हैं।