MP के 12 शासकीय नर्सिंग कॉलेजों को नहीं मिली मान्यता, दिग्विजय सिंह से मिला स्टूडेंट्स का डेलिगेशन
प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए स्टूडेंट्स ने पूर्व मुख्यमंत्री से कहा कि राज्य सरकार और चिकित्सा शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण हम नर्सिंग शिक्षा से वंचित रह जाएंगे, क्योंकि हम प्राइवेट कालेजों की फीस भरने में सक्षम नहीं हैं।

भोपाल। मध्य प्रदेश में बहुचर्चित नर्सिंग घोटाले के उजागर होने के बाद भी नर्सिंग शिक्षा का स्तर सुधारने को लेकर सरकार गंभीर पहल करती नज़र नहीं आ रही है। आलम ये है कि राज्य के 12 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता तक नहीं मिल पाई है। इन कॉलेजों में शैक्षणिक ढांचे की कमी और अन्य सुविधाएं मानकों के अनुरूप नहीं होने के कारण इनकी मान्यता निरस्त की गई है। 12 कॉलेजों को मान्यता नहीं मिलने के कारण नर्सिंग में करियर बनाने की तैयारी में लगे स्टूडेंट्स परेशान हैं। स्टूडेंट्स का एक डेलिगेशन इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से मिलने पहुंचा।
सोमवार शाम बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के बंगले पहुंचे। यहां उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री से मिलकर न्याय की गुहार लगाई। प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए इन छात्र-छात्राओं ने पूर्व मुख्यमंत्री से कहा कि राज्य सरकार और चिकित्सा शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण हम जैसे हजारों गरीब परिवार की छात्राएं नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश से वंचित रह जाएंगी, क्योंकि हम प्राइवेट कालेजों की फीस भरने में सक्षम नहीं हैं।
लेकिन हमारी व्यथा कोई नहीं सुन रहा। हमें न्याय दिलाएं।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने स्टूडेंट्स से काफी देर बातचीत कर उनकी समस्याओं को समझा और यथासंभव निराकरण का आश्वासन दिया। दिग्विजय सिंह ने छात्र-छात्राओं से कहा कि हम आपकी लड़ाई में पूरी तरह से आपके साथ हैं। मैं स्वयं सभी अधिकारियों से बात कर नर्सिंग कॉलेजों में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हों, इसकी कोशिश करूंगा। ताकि उन्हें मान्यता मिल सके।
इससे पहले NSUI के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार एवं जिला अध्यक्ष अक्षय तोमर के नेतृत्व में स्टूडेंट्स ने स्वास्थ्य संचालनालय भोपाल के बाहर 7 से 8 घंटे तक धरना प्रदर्शन किया। स्टूडेंट्स सुबह से धरने पर बैठ गए थे और दोपहर करीब तीन बजे उठे। स्टूडेंट्स ने ज्ञापन के माध्यम से उप मुख्यमंत्री एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेन्द्र शुक्ला से मांग की है कि प्रदेश के सभी 13 शासकीय नर्सिंग कॉलेजों की कमियाँ दूर कर उन्हें तत्काल मान्यता प्रदान की जाए, ताकि हजारों छात्र-छात्राओं का भविष्य सुरक्षित रह सके।
इस दौरान प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने कहा कि
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में योग्य स्टाफ की कमी दूर करने के बजाय उन्हें मान्यता से वंचित रखा जा रहा है। वहीं दूसरी ओर फर्जी फैकल्टी और कागजी स्टाफ वाले प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों को खुलेआम मान्यता दी जा रही है। यह न केवल विद्यार्थियों के साथ अन्याय है बल्कि प्रदेश की नर्सिंग शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
रवि परमार ने कहा कि सरकार और विभाग का यह दोहरा रवैया सरकारी शिक्षा संस्थानों को कमजोर करने और निजी कॉलेजों को बढ़ावा देने की नीतिगत साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है। सरकारी कॉलेजों में मान्यता न मिलने से विद्यार्थी 4 से 5 गुना फीस वाले प्राइवेट कॉलेजों में प्रवेश लेने को मजबूर हैं।
NSUI जिला अध्यक्ष अक्षय तोमर ने कहा कि शासकीय नर्सिंग कॉलेजों की अनदेखी से छात्रों का भविष्य अंधकार में जा रहा है। विभागीय उदासीनता और नर्सिंग माफिया की सांठगांठ से शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है। यदि सरकार ने जल्द निर्णय नहीं लिया तो एनएसयूआई प्रदेशभर में उग्र आंदोलन करेगी।