मध्य प्रदेश में पहली बार 350 KM का ग्रीन कॉरिडोर, जबलपुर से भोपाल लाया गया लिवर

ग्रीन कॉरिडोर को सफल बनाने में चार जिलों की पुलिस की अहम भूमिका रही। पहले हेलिकॉप्टर से आर्गन लाने का प्लान था रात होने के कारण सड़क मार्ग चुना गया। 

Publish: Sep 22, 2023, 12:26 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार 350 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पेशेंट के लिवर को जबलपुर से भोपाल लाया गया। पहले इसे हेलिकॉप्टर से लाने का प्लॉन था। लेकिन हेलिकॉप्टर में कुछ खराबी होने के बाद आर्गन को सड़क मार्ग से भोपाल लाने का फैसला किया गया। इसके लिए 4 जिलों की पुलिस को अलर्ट कर ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। साढ़े तीन घंटे के सफर के बाद लिवर को भोपाल पहुंचाया गया।

अब भोपाल में लिवर को बंसल अस्पताल में भर्ती मरीज को ट्रांसप्लांट किया जाएगा। इस पूरे ऑपरेशन को बंसल हॉस्पिटल के डॉ. गुरुसागर सिंह सहोटा लीड कर रहे हैं। बंसल हॉस्पिटल के मैनेजर लोकेश झा ने बताया कि जबलपुर के मेट्रो हॉस्पिटल में 64 वर्षीय राजेश सराफ ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थे। 20 सितंबर को डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेनडेड घोषित किया। इसके बाद उनके परिजनों ने ऑर्गन डोनेट करने की इच्छा जताई। इसके बाद उनके लिवर को सर्जरी कर निकाला गया। फिर इसे ग्रीन कॉरिडोर बनाकर भोपाल लाया गया।

मध्य प्रदेश में पहली बार सड़क मार्ग से 350 किमी का ग्रीन कॉरिडोर बना है। गुरुवार-शुक्रवार की दरम्यानी रात जबलपुर से भोपाल के बने इस ग्रीन कॉरिडोर में जबलपुर, नरसिंहपुर, रायसेन और भोपाल जिले की पुलिस ने सहयोग किया। अब भोपाल में राजेश के लिवर को भोपाल के बंसल अस्पताल में भर्ती एक मरीज को ट्रांसप्लांट किया जाएगा। 

बता दें प्रदेश में इसके पहले भी कई बार ग्रीन कॉरिडोर बनाकर आर्गन को एक से दूसरे शहर तक लाया गया है। मई 2023 में भोपाल से इंदौर के बीच 205 किमी ग्रीन कॉरिडोर बना था। तब भोपाल से किडनी को इंदौर भेजा गया था। इसके पहले जुलाई 2017 में जबलपुर से एक ब्रेन डेड पेशेंट का ऑर्गन भोपाल लाया गया था तब यह फ्लाइट से लाया गया था।

मेडिकल के क्षेत्र में ग्रीन कॉरिडोर बहुत अहम होते हैं। किसी मरीज की जान बचाने के लिए ये बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। ग्रीन कॉरीडोर में एक विशेष रूट तैयार किया जाता है। इस रूट पर सड़क के मेन ट्रेफिक को कुछ देर रोककर एम्बुलेंस के लिए रास्ता बनाया जाता है। जिससे एम्बुलेंस पूरे रास्ते बिना ट्रैफिक फंसे मरीज या आर्गन को अस्पताल तक कम समय में पहुंचा देती है। इसके लिए पुलिस और अस्पताल प्रबंधन साथ काम करते हैं।