MP के 5 IAS अफसरों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट, हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद नहीं दिया कर्मचारी को वेतनमान
स्वास्थ विभाग PS मोहम्मद सुलेमान, GAD के PS मनीष रस्तोगी, दिनेश श्रीवास्तव, विवेक पोरवाल और आरसी पनिका के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया है।
इंदौर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की अवमानना करना 5 IAS अधिकारियों को महंगा पड़ गया। उच्च न्यायालय ने अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। यह वारंट हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने जारी किया है। मामला एक कर्मचारी के वेतनमान से जुड़ा हुआ है।
दरअसल, हाईकोर्ट ने इंदौर के एक कर्मचारी के पक्ष में अप्रैल 2024 में फैसला दिया था। बावजूद, MP सरकार ने उसे यह लाभ नहीं दिया था। हाई कोर्ट ने इसी के खिलाफ अवमानना की सुनवाई की और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। हालांकि यह जमानती वारंट है। अब इन सभी अफसरों को 9 सितंबर को पेश होकर जमानत करानी होगी।
हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 12 अगस्त 2024 को हुई सुनवाई में राज्य के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान, सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी, हेल्थ कमिश्नर विवेक पोरवाल, हेल्थ डायरेक्टर दिनेश श्रीवास्तव और इंदौर के क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ आर.सी पनिका के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। अब इस मामले में 9 सितंबर को अगली सुनवाई होगी। हाई कोर्ट ने सभी अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा है।
बता दें कि पूर्व की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने संविदा कर्मचारियों के लिए एक पॉलिसी बनाई थी। इस पॉलिसी में 100 प्रतिशत वेतनमान देने का फैसला हुआ था। ज्यादातर कर्मचारियों को यह वेतनमान मिल भी गया, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण कुछ कर्मचारी छूट गए थे। ऐसे ही एक कर्मचारी ने हाईकोर्ट का रुख किया। न्यायालय के आदेश के बाद भी कर्मचारी को वेतनमान नहीं मिला तो हाईकोर्ट ने 5 लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।
न्यायालय के इस निर्देश पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता पीसी शर्मा ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी घोषणा की थी और वह दिल्ली निकल गये। अब वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी जनता और मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को झुला झुला रहे हैं। माननीय न्यायालय ऐसे झूठे नेताओं की घोषणाओं पर भी संज्ञान लें... जिससे मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को उनका हक मिल सके।