भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी की आहट, 4 साल के निचले स्तर पर आ सकती है GDP

सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी, GDP का अनुमान 6.4 फीसदी रखा है। मैन्युफैक्चरिंग और इन्वेस्टमेंट ग्रोथ में संभावित गिरावट के कारण इस बार GDP ग्रोथ का अनुमान घटाया गया है।

Updated: Jan 08, 2025, 12:00 PM IST

नई दिल्ली। देश को आर्थिक मोर्चे पर एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। वित्त वर्ष 2024-25 के दूसरे तिमाही में देश की GDP वृद्धि दर सुस्त होकर जुलाई सितंबर 5.4 प्रतिशत पर पहुंच गई जो पिछले 21 महीनों के सबसे निचले स्तर पर है। रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है जिसका सीधा असर Forex यानि विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ा है। अब इसका असर वार्षिक GDP ग्रोथ पर भी पड़ा है। सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए GDP का अनुमान 6.4 फीसदी रखा है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने चालू वित्त वर्ष के लिए राष्ट्रीय आय का पहला अग्रिम अनुमान जारी करते हुए यह जानकारी दी है। इसके मुताबिक, देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वित्त वर्ष 2024-25 में 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। जबकि पिछले वित्त वर्ष में इसकी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत थी। अगर ऐसा होता है तो देश की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2020-21 के बाद सबसे धीमी गति से बढ़ेगी। 

2020-21 में कोरोना की वजह से दुनियाभर की अर्थव्यव्थाओं में गिरावट दर्ज हुई थी, भारत में भी यही ट्रेंड दिखा था। लेकिन चालू वित्त वर्ष में GDP में इस तरह की सुस्ती भारत के विकास के लिए चिंताजनक है। वित्त वर्ष 2022 में 9.7 फीसदी, 2023 में 7 फीसदी, 24 में 8.2 फीसदी की ग्रोथ दर्ज हुई थी। यानी पिछले 4 साल में GDP ग्रोथ 7 फीसदी या उससे ऊपर ही रही है। पहली बार यह 7% से नीचे आ सकती है।

ग्रॉस वैल्यू एडेड यानी, GVA के आंकड़ों से पता चलता हैं कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मंदी आ सकती है। इसकी ग्रोथ पिछले साल के 9.9% से घटकर 5.3% रहने का अनुमान है। वहीं इन्वेस्टमेंट ग्रोथ ने भी निराश किया है और पिछले साल की 9% की ग्रोथ से घटकर यह 6.4% रह गई है। मैन्युफैक्चरिंग और इन्वेस्टमेंट ग्रोथ में संभावित गिरावट के कारण इस बार GDP ग्रोथ का अनुमान घटाया गया है।

जीडीपी ग्रोथ के ये आंकड़े एक चुनौतीपूर्ण आर्थिक परिदृश्य की ओर इशारा करते हैं क्योंकि सरकार वित्त वर्ष 25 के लिए अपना राजकोषीय रोडमैप तैयार कर रही है। क्योंकि GDP में गिरावट का साफ मतलब है कि देश में उद्योग-धंधे मंद पड़ रहे हैं, काम नहीं हो रहा है, रोजगार के अवसर खत्म हो रहे हैं। GDP ग्रोथ में मंदी के कारण आर्थिक सुधार को सपोर्ट देते हुए राजकोषीय स्थिरता बनाए रखना नीति निर्माताओं के लिए एक चुनौती भरा काम होगा।