बदनावर उपचुनाव: आज पता चलेगा जनता को कितना पसंद आया राजवर्धन का दलबदलू चेहरा

बदनावर में पाला बदलकर बीजेपी में आए राजवर्धन सिंह दत्तीगांव का मुक़ाबला कांग्रेस के कमल सिंह पटेल से है

Updated: Nov 10, 2020, 05:58 AM IST

धार। किसी ज़माने में कांग्रेस के उभरते चेहरों में से एक रहे राजवर्धन सिंह दत्तीगांव की किसमत का फैसला आज होना है। कांग्रेस से पाला बदलकर बीजेपी में आने के बाद जनता ने राजवर्धन को कितना स्वीकार किया है यह आज पता चल जाएगा। नतीजे ही बताएंगे कि बदनावर की जिस जनता ने उन्हें कांग्रेस के टिकट पर विधायक बनाकर भेजा था, वो बीजेपी में जाने से खुश है या खफा।

राजवर्धन के विरुद्ध कांग्रेस को बदलना पड़ा अपना प्रत्याशी 

राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के दलबदल से नाराज़ कांग्रेस ने उन्हें हराने के लिए पूरा ज़ोर लगाया। यहां तक कि उनकी हार पक्की करने के इरादे से कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी एक बार घोषित करने के बावजूद बदल भी दिया। पहले कांग्रेस ने बदनवार सीट से अभिषेक सिंह ठाकुर टिंकू बना को अपना उम्मीदवार बनाया था। लेकिन बाद में आंतरिक विरोध और क्षेत्र में किए गए सर्वे के आधार पर कमल सिंह पटेल को उम्मीदवार बना दिया। कांग्रेस का प्रत्याशी बदलना कारगार साबित हुआ या नहीं कुछ ही देर में इसकी तस्वीर साफ हो जाएगी। 

 कांटे का है मुकाबला

एक तरफ जहां क्षेत्र में कांग्रेस की अच्छी पकड़ और राजवर्धन के खिलाफ जनता में पनपा आक्रोश कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है लेकिन फिर भी ये जंग इकतरफा नहीं होगी। वजह ये है कि राजवर्धन सिंह दत्तीगांव पिछले चुनाव में सबसे ज़्यादा अंतर से चुनाव जीतने वाले विधायकों में से एक थे। राजवर्धन ने बीजेपी के भंवर सिंह शेखावत को लगभग 42 हज़ार वोटों के बड़े अंतर से पटखनी दी थी। राजवर्धन को अकेले 50 फीसदी वोट मिले थे। हालांकि ये सफलता उन्हें कांग्रेस के टिकट पर मिली थी और उस वक्त भारी अंतर से चुनाव जिताने वाले मतदाता को उनका दल-बदलू चेहरा कितना पसंद आएगा, इसका पता तो नतीजे आने के बाद ही चलेगा। 

इससे पहले 2013 में बीजेपी के भंवर सिंह शेखावत से ही उन्हें मुंह की खानी पड़ी थी। 2013 में भंवर सिंह शेखावत ने राजवर्धन को 9 हज़ार 812 वोटों से हराया था। चुनाव में भंवर सिंह शेखावत को 50 फीसदी (73,738 ) वोट मिले थे तो वहीं राजवर्धन को 43 फीसदी ( 63,926 ) वोट मिले थे। राजवर्धन तीन बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक रह चुके हैं। लेकिन इस बार वे बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। 1998 में राजवर्धन अपना पहला चुनाव निर्दलीय लड़े थे और हार गए थे। राजवर्धन ने कांग्रेस के खेमराज पाटीदार के विरुद्ध चुनाव लड़ा था। दिलचस्प बात ये है कि निर्दलीय के तौर पर मुंह की खाने के बाद राजवर्धन कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

बदनावर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो इस सीट पर कुल 1,94,687 मतदाता हैं। जिनमें 97,877 पुरुष वोटर हैं जबकि 96,810 महिला वोटर हैं। बदनावर में 2018 के चुनावों में 85.48 फीसदी मतदान हुआ था। वहीं 2013 और 2008 में क्रमशः 81.46 फीसदी और 79.62 फीसदी वोट डाले गए थे। इस दफा भी बदनावर में भरी संख्या में वोट डाले गए। बदनावर में इस बार 83.48 फीसदी वोट डाले गए।