बड़वानी: नदी बचाओ सम्मलेन में मंजूर हुआ नदी संरक्षण, सुरक्षा एवं पुनर्जीवन अधिनियम का मसौदा

नर्मदा बचाओ आंदोलन ने नदी संरक्षण को इस देश में राजनैतिक विमर्श के केंद्र में ला दिया है। नदी विधेयक संसद में जरूर आना चाहिए: अमृता राय

Publish: Sep 16, 2023, 04:42 PM IST

बड़वानी। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में शनिवार को नदी बचाओ, जल जीवन बचाओ सम्मेलन का आयोजन किया गया। नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में आयोजित इस सम्मेलन में 10 राज्यों के पर्यावरणविद और सिविल सोसायटी के लोग शामिल हुए। इस सम्मेलन में नदियों के संरक्षण हेतु नदी विधेयक पेश किया गया। जिसमें देश की समस्त नदियों के संरक्षण, सुरक्षा और पुनर्जीवन का अधिनियम तैयार किया गया है।

सम्मेलन में  कावेरी, गोदावरी, तीस्ता, महानदी, तापी, कोसी, भागीरथी, गंगा, साबरमती, ब्रह्मपुत्र, पेरियार, कृष्णा, पार्वती, कारम, वांग, पेंच, चम्बल आदि नदियों को बचाने वाले के लिए काम कर रहे जन संगठन और विशेषज्ञ शामिल हुए। सम्मेलन की भूमिका को रखते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण देश के नदियों का अस्तित्व खतरे में पङ गया है। इसे बचाने के लिए एक केन्द्रीय कानून की आवश्कता है। आज इस सम्मेलन में कानून मसौदा पर चर्चा होकर इसे पारित किया जाएगा। यह कानून आज समय की मांग है और प्रत्येक नागरिक समाज का दायित्व है इस कानून को बनवाने में सक्रिय सहयोग प्रदान करें।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता अमृता राय ने कहा कि नर्मदा बचाओ आंदोलन ने नदी संरक्षण को इस देश में राजनैतिक विमर्श के केन्द्र में ला दिया है। नदी विधेयक जरूर संसद में आना चाहिए। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि नर्मदा नदी पर बने बांध से समाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय असर का अध्ययन नर्मदा संरक्षण न्यास समिति के तरफ से कराने की घोषणा किया।

इस दौरान अंतरराष्ट्रीय गोल्डमेन अवार्ड विजेता उङीसा के प्रफुल्ल समांत्रा ने अपने उद्बोधन करते हुए कहा कि जंगल को संरक्षित, हवा प्रदुषण, जल प्रदूषण के लिए कानून है। मगर नदी एक जीवित इकाई है। नदियों को संरक्षित करने के लिए कोई कानून नहीं है।देश के लिए यह कानून अति आवश्यक है और इसे हम हासिल करके के रहेंगे। केरल के सी.एल निलकंदन ने कहा कि नदी की पहचान बहते हुए पानी से होती है। जिसे बांध बनाकर खत्म किया जा रहा है।उत्तराखंड से आए समीर रतूङी ने जोशीमठ के हादसे को अनियंत्रित विकास को जिम्मेदार माना।

उत्तर प्रदेश के अशोक प्रकाश ने कहा कि देश की जनता को समझना होगा कि कॉरपोरेट अपने मुनाफा के लिए नदियों पर कब्जा कर रहा है। बिहार के महेन्द्र यादव कोशी नदी का बाढ़ और जमीन कटाव के कारण गांव का गांव विलुप्त हो रहा है। महाराष्ट्र के बुधा डामसे ने नदियों पर निर्भर मछुआरों के पहला अधिकार को सुनिश्चित करने की बात रखी। ब्रह्मपुत्र नदी आसाम से विधुत सैकिया ने कहा कि नॉर्थ इस्ट में जो कुछ हो रहा है उसका राष्ट्रीय समाचार में कोई चर्चा नहीं होता है। जबकि इसे ब्रह्मपुत्र नदी के उपर अरूणाचल प्रदेश में जल विद्युत उत्पादन के लिए बङा बांध बनाया जा रहा है।

इस विधेयक के मसौदा को उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख, राज्य सभा सांसद अनिल हेगङे, देबू राय सांसद पश्चिम बंगाल, नर्मदा न्यास की अमृता सिंह और पूर्व विधायक डाक्टर सुनिलम ने इस विधेयक मसौदा का समर्थन किया और आश्वासन दिया कि इसे संसद तक पहुंचाने में सक्रिय सहयोग देंगे। इस कार्यक्रम में भरत सिंह झाला और नारायण गढवी गुजरात,  अराधना भार्गव छिन्दवाङा,गीता मीणा नर्मदापूरम,चन्द्र कांत चौधरी महाराष्ट्र, सुप्रतिम कर्मकार बंगाल, बरगी बांध विस्थापित संघ के राज कुमार सिन्हा, सनोबर बी मंसूरी, वाहिद मंसूरी,ओम पाटीदार, मुकेश सिपाही, सुरेश प्रधान, गेंदिया बाबा, कुमारी डिम्पल, सियाराम पाढवी, सादिक भाई चंदेल, राजन मंडलोई, कैलाश यादव, कमला यादव, रामेश्वर सोलंकी, श्यामा मछुआरा, राहुल यादव आदि ने संबोधित किया।