नामीबिया से कूनो लाए गए मादा चीते की मौत, 6 महीने भी नहीं कर सका सर्वाइव

वाइल्डलाइफ़ लाइफ़ एक्सपर्ट ने मादा चीता के किडनी में संक्रमण को बताया मौत की वजह, कहा दो महीने इलाज के बाद रीनल फेल्योर से हुई मौत, दो और चीते ऐसी ही बीमारी स् हैं ग्रस्त

Updated: Mar 28, 2023, 12:30 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में मादा चीते की मौत हो गई है। वाइल्डलाइफ डॉक्टर ने मौत की वजह रीनल फेल्योर बताया है। सोमवार को इस चीते की मौत के बाद यह खबर भी गर्म है कि ऐसी बीमारी से दो और मादा चीते पीड़ित हैं। चीतों की बीमारी की वजह उन्हें बाड़े में यानी केप्टिविटी में रखना बताया जा रहा है। 

कूनो नेशनल पार्क में बड़े बाड़े में बने कंपार्टमेंट नंबर पांच में रखे गए इस चीते जिसका नाम साशा था, में 22 जनवरी को ही बीमारी के लक्षण दिखाई दिए थे। साशा काफी सुस्त थी और खाना भी नहीं खा रही थी। जिसके बाद कूनो नेशनल पार्क और भोपाल के डॉक्टरों ने उसकी जांच की तब उसकी किडनी में संक्रमण की पुष्टि हुई। 

भारत आने से पहले ही बीमार थी चीता 

मादा चीता की किडनी में संक्रमण मिलने पर देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों और कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन ने नामीबिया से साशा की मेडिकल हिस्ट्री मंगवाई। इसमें पुष्टि हुई कि भारत लाए जाने से पहले ही चीता की किडनी में संक्रमण था। मेडिकल हिस्ट्री पढ़ने पर डॉक्टरों को पता चला कि 15 अगस्त को मादा चीता के लिए गए सैंपल में क्रिएटिनिन का स्तर 400 से अधिक पाया गया था। 

वेटनरी डॉक्टरों को आशंका है कि जो दो अन्य चीते साशा के समान बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें भी बचाना कठिन है। लेकिन इस बीमारी से चीतों की मेटिंग और उससे होनेवाले बच्चों पर इसके असर के बार में डॉक्टर निश्चिंत हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीतों के बच्चों में इस बीमारी का संक्रमण नहीं जाएगा और वो इससे प्रभावित नहीं होंगे।

नामीबिया से चीतों का दो जत्था भारत आया था। पहले जत्थे को प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन यानी 17 सितंबर को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था। इस जश्न को पूरे देश में चीतों की वापसी और देश में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में देखा गया था। जिस वक्त साशा को कूनो लाया गया था, उस ट्रिप में कुल आठ चीते नामीबिया से लाए गए थे। इसके बाद फरवरी माह में बारह चीतों का दूसरा जत्था भी भारत आया था। इन्हें भी कूनो नेशनल पार्क में ही रखा गया था। नेशनल पार्क के प्रबंधन ने बताया है कि इस समय बाकी चीतों को नेशनल पार्क में रखा गया है।