नर्मदा में अवैध रेत खनन के लिए कलेक्टर जिम्मेदार, HC की टिप्पणी को दिग्विजय सिंह ने बताया ऐतिहासिक

जबलपुर हाईकोर्ट ने अपने एक अहम टिप्पणी में कहा है कि यदि अवैध रेत खनन से नर्मदा की छाती छलनी हुई तो कलेक्टर स्वयं जिम्मेदार होंगे

Updated: Jan 24, 2022, 01:15 PM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश में अवैध रेत खनन का काला धंधा बदस्तूर जारी है। मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी में अवैध रेत खनन मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। उच्च न्यायालय ने कहा है कि अवैध रेत खनन के लिए कलेक्टर जिम्मेदार हैं। हाईकोर्ट की इस टिप्पणी को पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने ऐतिहासिक बताते हुए आरोप लगाया है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान के लोग इस गोरखधंधे में शामिल हैं। 

दरअसल, बीते शुक्रवार को पर्यावरण संरक्षक विजित साहू की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ब्रहमेंद्र पाठक ने दलील दी कि ठेकेदारों द्वारा नियमों को ताक पर रखते हुए धड़ल्ले से नर्मदा नदी से बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा रेत उत्खनन किया जा रहा है। जबकि मध्य प्रदेश शासन द्वारा रेत खनिज उत्खनन, परिवहन व भंडारण नियम-2019 में स्पष्ट प्रावधान है कि नर्मदा नदी में रेत का खनन करने में किसी भी तरह की मशीनरी का उपयोग नहीं किया जा सकता।

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुनीता यादव की बेंच ने इस दौरान प्रशासन को जमकर फटकारा। उच्च न्यायालय ने कहा कज यदि अवैध रेत खनन से नर्मदा की छाती छलनी हुई तो कलेक्टर स्वयं जिम्मेदार होंगे। लिहाजा, कलेक्टर रेत खनन में नियमों का पालन गंभीरता से सुनिश्चित कराएं। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि नर्मदा से रेत खनन में मशीनों का उपयोग न हो। न्यायालय ने सीहोर से जुड़े मामले की अगली सुनवाई के दौरान कलेक्टर को स्वयं के व्यक्तिगत शपथपत्र पर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

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हाई कोर्ट ने इस मामले में माइंस एंड मिनरल रिसोर्सेस विभाग के प्रमुख सचिव, स्टेट माइनिंग कारपोरेशन के कार्यकारी निदेशक, कलेक्टर, एसपी सीहोर, जिला माइनिंग अधिकारी और पावर मेक प्रोजेक्ट्स लिमिटेड कोटा के कृष्ण प्रवीण को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। अगली सुनवाई फरवरी के अंतिम सप्ताह में निर्धारित की गई है।

मामले पर राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा है कि, 'जो सरकार का काम है वो कोर्ट कर रही है। चोरी पकड़ना सरकार का दायित्व है। यह सब राजनीतिक संरक्षण का खेल है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह से पूछिए, सब नाम सामने आ जाएँगे।' तन्खा की बात से सहमति जताते हुए सिंह ने कहा है कि कोर्ट यदि मुझे अवसर देती है तो मैं प्रमाण के साथ सारे तथ्य दे दूँगा।

बता दें कि नर्मदा नदी में रेत खनन का काला कारोबार वर्षों चलते आ रहा है। प्रदेश में करीब दर्जन भर ऐसे सक्रिय गिरोह हैं, जो अवैध रेत खनन में लिप्त हैं। माफियाओं को अधिकारी भी कुछ नहीं कर पाते क्योंकि इन्हें सफेदपोशों का भी संरक्षण मिलता रहा है। नतीजतन बंदूक के बल पर बालू से नोट छापने का खेल जारी है। 

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रेत माफियाओं के मंसूबे इतने बढ़े हुए हैं कि वे पुलिसकर्मियों पर भी गोली चलाने से नहीं हिचकते। पिछले हफ्ते ही रेत माफियाओं द्वारा पुलिसकर्मियों पर गोली चलाने की घटना सामने आई है। विपक्ष लगातार आरोप लगाती है कि अवैध रेत खनन का काला कारोबार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संरक्षण में चलता है। हालांकि, सीएम इस मामले में कोई भी प्रतिक्रिया देने से लगातार बचते रहे हैं।