सरकारी खर्च पर चुनाव प्रचार कर रहे हैं मुख्यमंत्री शिवराज, कांग्रेस ने चुनाव आयोग से की शिकायत

MP By Elections: कांग्रेस की चुनाव आयोग से मांग, सीएम को सरकारी खर्च पर बीजेपी का चुनाव प्रचार करने से रोका जाए, शिवराज सहित सभी मंत्रियों के सोशल मीडिया एकाउंट भी चुनाव खत्म होने तक बंद किए जाएं

Updated: Oct 29, 2020, 04:39 PM IST

Photo Courtesy: The Financial Express
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भोपाल। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकारी खर्च पर उपचुनाव में बीजेपी का प्रचार कर रहे हैं। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के ओएसडी सत्येंद्र खरे पर भी सरकारी खर्च पर बीजेपी का चुनाव प्रचार करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने इसकी शिकायत निर्वाचन आयोग से की है। 

कांग्रेस की शिकायत में कहा गया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करके सरकारी खर्चे पर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इतना ही नहीं, सरकारी तंत्र के जरिए चलने वाले सोशल मीडिया एकाउंट का इस्तेमाल भी चुनाव प्रचार के लिए किया जा रहा है। मुख्यमंत्री संवैधानिक पद का दुरुपयोग करके बीजेपी के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। कांग्रेस का आरोप है कि मुख्यमंत्री के साथ साथ उनके ओएसडी सत्येंद्र खरे भी इस प्रचार प्रक्रिया में शामिल हैं।  

 

बीजेपी के प्रचार का खर्च जनसंपर्क विभाग उठा रहा है: धनोपिया 

कांग्रेस के चुनाव आयोग कार्य प्रभारी जेपी धनोपिया ने कहा है कि बीजेपी का प्रचार कर रही एसएफ कंसल्टेंट नामक कंपनी को मध्य प्रदेश शासन का जनसम्पर्क विभाग भुगतान कर रहा है। धनोपिया ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार के तमाम विभागीय पोर्टल्स पर न सिर्फ सरकार की उपलब्धियां गिनाई जा रही हैं बल्कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के चुनावी भाषण और प्रचार भी उन वेबसाइट पर मौजूद हैं। 

धनोपिया ने अपने बयान में कहा है कि प्रचार प्रसार का सारा काम सरकार के नर्मदा भवन से ही हो रहा है। मुख्यमंत्री के ओएसडी सत्येंद्र खरे खुद सोशल मीडिया के ज़रिए बीजेपी का प्रचार कर रहे हैं। इतना ही नहीं वे खुलकर कांग्रेस उम्मीदवारों के विरुद्ध जानकारियां भी मीडिया तक पहुंचा रहे हैं। जेपी धनोपिया ने बताया कि कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से शिकायत कर इस मामले में संज्ञान लेकर जल्द से जल्द कार्रवाई करने की मांग की है। कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से यह भी कहा है कि आयोग सभी वेबसाइट्स से मुख्यमंत्री और मंत्रियों के भाषण हटाए। साथ ही मुख्यमंत्री और मंत्रियों के सोशल मीडिया एकाउंट्स को चुनाव संपन्न होने तक बंद कराया जाए।