कमलनाथ के ऑफिस में रची गई थी सिंधिया को हराने की साजिश: मंत्री ओपीएस भदौरिया
शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थक मंत्री ओपीएस भदौरिया ने गुना लोकसभा से सिंधिया की हार के लिए कमलनाथ को जिम्मेदार बताया है, इसपर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि सिंधिया नहीं उनके अहंकार की हार हुई थी
भोपाल। लोकसभा चुनाव 2019 में अपने ही कार्यकर्ता से मिली हार को ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक अभी तक पचा नहीं पाएं हैं। तीन वर्ष बीतने के बाद भी सिंधिया और उनके समर्थकों में इस हार का गुस्सा अक्सर देखने को मिल ही जाता है। अब सिंधिया समर्थक मंत्री ओपीएस भदौरिया ने इस हार के लिए पीसीसी चीफ कमलनाथ को जिम्मेदार ठहराया है।
शिवराज सरकार में सहकारिता मंत्री ओपीएस भदौरिया ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा है कि, 'ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराने की साजिश पूर्व सीएम कमलनाथ के दफ्तर में रची गई थी। उन्होंने दावा किया कि कमलनाथ ने बाहर के नेताओं को पैसे देकर बुलाया था ताकि श्रीमंत को चुनाव में हराया जा सके। उन्होंने तर्क दिया है कि कमलनाथ के लिए सिंधिया चुनौती बन गए थे।'
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मंत्री भदौरिया के इस बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने कहा है कि श्रीमंत नहीं हारे थे बल्कि उनके अहंकार की हार हुई थी। कमलनाथ के मीडिया कोऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा ने ट्वीट किया, 'श्रीमंत समर्थक मंत्री भदौरिया कह रहे है कि कमलनाथ जी ने श्रीमंत को चुनाव में हरवाया… तीन साल से क्या मुँह में दही जमा हुआ था..? आपके श्रीमंत को कहते है कि हमारे परिवार का यहाँ से 300 साल का नाता है... यही नाता है कि कमलनाथ जी ने भोपाल में बैठकर हरवा दिया..?'
हारे श्रीमंत नही थे , हारा उनका सामंती अहंकार था…
— Narendra Saluja (@NarendraSaluja) April 30, 2022
इसीलिये तो जनता ने उनके ही प्रतिनिधि को सवा लाख वोटों से जितवा दिया था..
मंत्री ने ऐसा कहकर गुना के मतदाताओ और भाजपा के ही सांसद के.पी,यादव का भी अपमान किया है…
सलूजा ने आगे लिखा कि, 'हारे श्रीमंत नही थे , हारा उनका सामंती अहंकार था… इसीलिये तो जनता ने उनके ही प्रतिनिधि को सवा लाख वोटों से जितवा दिया था.. मंत्री ने ऐसा कहकर गुना के मतदाताओ और भाजपा के ही सांसद के.पी,यादव का भी अपमान किया है।'
बता दें कि 2019 की लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ बीजेपी ने उनके ही सांसद प्रतिनिधि केपी यादव को टिकट देकर मैदान में भेजा था। कांग्रेस पार्टी के एक छोटे कार्यकर्ता थे केपी यादव सिंधिया का मुकाबला करेंगे यह बात किसी नहीं सोची थी। लेकिन उन्होंने श्रीमंत को पटखनी दे दी। केपी यादव को यहां कुल 6 लाख 14 हजार 49 वोट मिले थे। वहीं ज्योतिरादित्य को महज 4 लाख 88 हजार 500 वोट मिले। इस तरह केपी यादव ने ज्योतिरादित्य को कुल 1 लाख 25 हजार 549 वोटों से इस चुनाव में शिकस्त दी। इस हार के करीब एक साल बाद मई 2020 में सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए थे।