कोरोना योद्धाओं का ‘टूल्‍स डाउन’

वायरस के खिलाफ लड़ रहे कोरोना योद्धाओं की अनदेखी कर रही शिवराज सरकार

Publish: Apr 26, 2020, 05:29 AM IST

torn ppe kit
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केस 1 – इंदौर में दो डॉक्‍टरों की कोरोना संक्रमण से मौत। फिर दो नर्सों की मौत। डॉक्‍टरों में संक्रमण के कारण करीब पांच नर्सें एवं एक डॉक्टर और संक्रमण की जद में आ गए हैं।

केस 2- भोपाल में स्वास्थ्य विभाग के 100 से ज्‍यादा कर्मचारी और अफसर कोरोना पॉजिटिव। भोपाल में शुक्रवार को गांधी मेडिकल कॉलेज के 4 डॉक्टर भी कोरोना पॉजिटिव मिले है। जिन डॉक्टरों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है उसमें एक एसोसिएट प्रोफेसर, सहायक प्राध्यापक, एक आरएमओ और एनेस्थिशिया विभाग की एक सीनियर रेजिडेंट शामिल है।

केस 3- उज्जैन में 27 दिन से 40 डॉक्टरों व कर्मचारियों की टीम लगातार काम कर रही है। इसी टीम में से अब एक डॉक्टर पॉजिटिव मिला है। 

मप्र में कोरोना संक्रमितों की संख्‍या 1902 हो गई है। इंदौर, भोपाल के बाद उज्‍जैन में लगातार बढ़ रहे केस डरा रहे हैं। ऐसे में सरकार ने डॉक्‍टरों और स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों को बिना सुरक्षा साधन ही वायरस के सामने उतार दिया है। न तो स्टॉफ के पास पीपीई किट है न ही सुरक्षा के दूसरे उपकरण। इस लापरवाही पर भी कोरोना योद्धा मैदान नहीं छोड़ रहे हैं। वे कोरोना से बराबर लड़ रहे हैं बस ‘अंधी-बहरी’ बन बैठी सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का जतन कर रहे हैं।

इस क्रम में जहां उज्‍जैन में कोरोना टीम ने काम करने से इंकार कर दिया वहीं कई डॉक्‍टर खतरे की स्थिति में काम करने से बच रहे हैं। इंदौर में पदस्‍थ किए गए डॉक्‍टरों ने जब ज्‍वाइन नहीं किया तो 70 डॉक्‍टरों को नोटिस जारी किए गए। उज्‍जैन के आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में चार चिकित्साकर्मियों  के ड्यूटी पर अनुपस्थित रहने के कारण प्रकरण दर्ज किया गया है। बताया जाता है कि ये सुरक्षा उपकरणों के अभाव में काम करने के लिए नहीं आए। डॉक्‍टरों और स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों के इस कदम को पर्याप्‍त सुरक्षा उपकरण नहीं देने की सरकारी लापरवाही के खिलाफ स्‍वास्‍थ्‍य अमले का ‘टूल्‍स डाउन’ विरोध यानि कुछ देर काम रोक कर नाराजगी जताने का प्रयास माना जा रहा है।

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उज्‍जैन में पीपीई यानि व्‍यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों की मांग को लेकर शुक्रवार को स्व.श्री मंत माधवराव सिंधिया जिला अस्पताल में डाक्टर्स,नर्सें एवं अन्य स्टॉफ असंतोष के साथ आंदोलित हो गया। इसके तहत सभी अस्पताल से बाहर आ गए और उन्होंने मीडिया के सामने असंतोष व्यक्त करते हुए बताया कि शुरूआत से लेकर आज तक बोलने के बावजूद न तो पीपीई किट दी जा रही है और न ही अन्य उपकरण दिए जा रहे हैं। स्टॉफ के लिए अलग से न तो क्वारैंटाईन कि व्यवस्था की गई है न ही पॉजिटिव स्टॉफ के लिए ही अलग से कुछ किया जा रहा है।

कोरोना योद्धाओं को भी नहीं मिली सही देखभाल

मध्यप्रदेश मेडिकल आफिसर्स एसोसिएशन के सर्जिकल स्पेशलिस्ट डॉ. नरेन्द्र गोमे ने मीडिया को बताया कि दो नर्स पॉजिटिव हुई हैं 3 शुक्रवार को पॉजिटिव हुई हैं। एक डॉक्टर भी संक्रमण की जद में आए हैं। 24 घंटे डयूटी के लिए सिर्फ 8 डॉक्टर हैं और हमारे लिए पीपीई किट अब तक नहीं आई है। हमारे लिए अन्य विभागों की तरह क्‍वारैंटाइन की अलग कोई व्यवस्था नहीं है। ठहरने की व्‍यवस्‍था नहीं है और घर जाते हैं तो इससे परिवार भी रिस्क पर आ गया है। डॉ. गोमे ने साफ किया कि हमने हडताल नहीं की है। हम सिविल सर्जन और सीएमएचओ के समक्ष हम अपनी मांग रखने आए हैं।

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लगातार काम फिर भी सरकार नहीं दे रही मास्‍क

म.प्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ जिला उज्जैन के अध्यक्ष सुभाष राव अवाड ने अधिकारियों को दिए ज्ञापन में कहा है कि डॉक्‍टर और पैरामेडिकल स्टॉफ अनवरत ओपीडी व इमरजेंसी में रोगियों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं। चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ को भी संक्रमण का खतरा बना रहता है। संक्रमण से बचाव के लिए पीपीई किट और एन-95 मास्क प्रदाय नहीं किए जा रहे है।