निडर, निर्भीक और स्पष्ट वक्ता थे डॉ अजीज कुरैशी, पूर्व राज्यपाल के निधन को दिग्विजय सिंह ने बताया अपूरणीय क्षति

राजकीय सम्मान के साथ डॉ कुरैशी को किया जाएगा सुपुर्द-ए-खाक, दिग्विजय सिंह बोले- वे कट्टर पंथी शक्तियों के घोर विरोधी थे। उनके निधन पर मुझे अपूरणीय क्षति हुई है।

Updated: Mar 02, 2024, 09:09 AM IST

भोपाल। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व डॉ. अजीज कुरैशी का शुक्रवार को निधन हो गया। 83 वर्षीय डॉ कुरैशी लंबे समय से बीमार थे। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। सिंह ने कहा कि वे निडर, निर्भीक और स्पष्ट वक्ता थे।

पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, 'अज़ीज़ भाई युवक कांग्रेस, प्रदेश कांग्रेस में महामंत्री, प्रकाश चंद्र सेठी जी की सरकार में मंत्री, सतना से संसद सदस्य और राज्यपाल पद पर रहते हुए उन्होंने पद की प्रतिष्ठा बढ़ाई। वे इंदिरा जी के अति विश्वास पात्र थे। वे निडर निर्भीक स्पष्ट वक्ता थे और कट्टर पंथी शक्तियों के घोर विरोधी थे।'

सिंह ने एक घटना का उल्लेख करते हुए लिखा की जब 1993 की विधानसभा में एक भी अल्पसंख्यक विधायक चुन कर नहीं आया। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री बने दिग्विजय सिंह ने डॉ कुरैशी को अपनी मंत्री परिषद में लेने के लिए उनसे अनुरोध किया था। हालांकि, उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया और बाहर रहते हुए दिग्विजय सिंह सरकार पूरा समर्थन किया। सिंह ने कहा कि डॉ कुरैशी के निधन पर मुझे निजी अपूरणीय क्षति हुई है। मेरी अल्लाह ताला से यही दुआ है उन्हें जन्नत अता फर्माएं।

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डॉ कुरैशी को भोपाल में उन्हें राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। उनके सम्मान में भोपाल में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने शाम को आदेश जारी किए हैं। कुरैशी के भतीजे सूफियान अली ने बताया कि भोपाल के प्राइवेट अस्पताल में उन्होंने सुबह करीब 11 बजे अंतिम सांस ली। डॉ. कुरैशी को इलाज के लिए दिल्ली भी ले जाया गया था। जिसके बाद कुछ दिन पहले ही वे वापस भोपाल आ गए थे।

बता दें कि अजीज कुरैशी उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश और मिजोरम में राज्यपाल रहे। सन 1984 में लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने। उन्होंने शादी नहीं की थी।24 अप्रैल 1941 को भोपाल में जन्मे अज़ीज़ कुरैशी उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश एवं मिजोरम के राज्यपाल रहे। वह 2015 में कुछ महीनों के लिए मिजोरम के 15वें राज्यपाल नियुक्त किए गए थे। इसके अलावा, उन्होंने 2012 से 2015 तक उत्तराखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया और 2014 में एक महीने के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल (अतिरिक्त प्रभार) भी दिया गया था।