वन समितियों में निर्वाचित सदस्यों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिये, दिग्विजय सिंह ने वन मंत्री को लिखा पत्र

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रदेश के वन मंत्री कुंवर विजय शाह को सीएम चौहान के गृह जिले और उनके अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी में आदिवासी परिवारों के वनाधिकार पट्टों के दावों के निराकरण के लिए पत्र लिखा है।

Updated: Aug 24, 2023, 04:19 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह बुधवार को सीएम शिवराज चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी पहुंचे थे। यहां वे भैरूंदा (नसरुल्लागंज) में आदिवासी वन अधिकार पट्टों के लिए आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में शामिल हुए और आदिवासियों की समस्याओं को सुना। अगले दिन यानी गुरुवार को सिंह ने इस संबंध में वन मंत्री को पत्र लिखकर आदिवासी परिवारों के वनाधिकार दावों का समय सीमा तक कर निराकरण करने की मांग की। 

वन मंत्री कुंवर विजय शाह को संबोधित पत्र में पूर्व सीएम ने कहा, 'मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि आपके विभाग ने आज से पोर्टल प्रारंभ कर वन अधिकार अधिनियम के तहत् प्राप्त आपत्तियों को पुनः लेने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी है। मुख्यमंत्री जी के विधानसभा क्षेत्र बुधनी की भैरूंदा तहसील में मैंने इस संबंध में पट्टों से वंचित आदिवासियों से चर्चा की और संबंधित अधिकारियों से वास्तविक स्थिति की जानकारी प्राप्त की। मुझे बताया गया कि सीहोर जिले में वन अधिकार अधिनियम के तहत् गठित वन समितियों में केवल अध्यक्षों का चयन किया गया है लेकिन समितियों के गठन की स्थिति स्पष्ट नहीं है।'

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सिंह ने आगे लिखा, 'कई ग्रामों में अध्यक्षों को ही न समिति की जानकारी है न ही उन्हे अपने अधिकारों और कर्तव्यों का ज्ञान है। जानकारी के अभाव में शासकीय तंत्र से जुड़े राजस्व विभाग, वन विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी मिलकर मनमर्जी से निर्णय कर रहे हैं। यह कार्यवाही वन अधिकार अधिनियम की मंशा के प्रतिकूल है। जिले में अभी तक जिला स्तरीय वन अधिकार समिति भी गठित नहीं की गई है। इस समिति का गठन कर जिला पंचायत में निर्वाचित जिला सदस्यों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिये। ताकि जिलास्तर पर अधिनियम के अन्तर्गत लंबित दावों के निराकरण की समीक्षा हो सके।'

पूर्व सीएम ने लिखा है कि वन अधिकार संवाद में यह बात भी निकलकर सामने आई कि पोर्टल बंद रखे जाने के कारण बड़ी संख्या में लंबित आवेदनों का निराकरण ही नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री के गृह जिले के साथ उनके अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी में आदिवासी परिवार वनाधिकार पट्टों के दावों के निराकरण के लिये वर्षों से भटक रहे हैं और उनके आवेदनों पर निर्णय नहीं होना प्रशासनिक असंवेदनशीलता का परिचायक है। सिंह ने वन मंत्री से मांग करते हुए कहा कि सीएम चौहान के क्षेत्र में गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले आदिवासी परिवारों के वनाधिकार दावों का समय सीमा तक कर निराकरण करें।