बेटी का शव बाइक पर लेकर जाने को मजबूर हुआ पिता, दिग्विजय सिंह ने संजीवनी एंबुलेंस सेवा पर उठाए सवाल

मध्‍य प्रदेश के शहडोल में 13 साल की आदिवासी बच्ची की अस्‍पताल में मौत हो गई। अस्पताल ने शव के लिए एंबुलेंस देने से इंकार कर दिया। वाहन न मिलने पर गरीब परिजन बाइक पर ही शव लेकर जाने को मजबूर हुए।

Updated: May 19, 2023, 11:17 AM IST

शहडोल। मध्‍य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले शहडोल से मानवता को झकझोरने वाली खबर सामने आई है। यहां एक आदिवासी व्यक्ति को अपनी बेटी का शव बाइक पर ले जाना पड़ा, क्‍योंकि अस्‍पताल ने एंबुलेंस देने से इनकार कर दिया था। इस घटना से जुड़ी तस्‍वीरें भी सामने आई हैं, जो प्रदेश में खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली कहानी बयां करती है। वीडियो सामने आने के बाद पूर्व सीएम दिग्विजय ने संजीवनी एंबुलेंस सेवा पर सवाल खड़े किए हैं।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, 'वो सब एक हजार से ज़्यादा एम्बुलेंस जो सीएम शिवराज ने कुछ दिनों पहले भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर खड़ी कर फोटो खिंचवाए थे कहाँ गयीं? चुनावों में भाजपा द्वारा शराब और पैसे बाँटने में तो बहुत काम आईं पर ग़रीबों के मरीज़ व उनकी लाशों को ले जाने के लिए काम नहीं आ रहीं हैं।'

रिपोर्ट्स के मुताबिक शहडोल जिले के बुढ़ार ब्लॉक अंतर्गत कोटा गांव के लक्ष्मण गोंड ने अपनी 13 वर्षीय बेटी माधुरी गोंड को तबियत बिगड़ने पर इलाज के लिए जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था। मृतिका के पिता लक्ष्मण गोंड ने बताया कि उसकी बेटी की हालत गंभीर थी। उसके शरीर में खून की कमी थी। जैसे ही आईसीयू में रखकर उसे ब्लड चढ़ाया जा रहा था, तभी उसकी मौत हो गई। 

पीड़ित पिता ने बताया कि बेटी कि मौत के बाद उन्हें शव लेकर घर जाना था। जिला अस्पताल में उन्होंने शव वाहन की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें कहा गया कि, 'शव वाहन सिर्फ 15 KM के अंदर ही दिए जाते हैं। 70KM के लिए शव वाहन नहीं मिलेगा। तुम प्राइवेट शव वाहन कर लो।' पीड़ित पिता ने बताया वह गरीब घर से है और उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह अस्पताल से गांव के लिए प्राइवेट शव वाहन का खर्च दे सके। इस कारण उसने मजबूरी में बाइक से ही 70 किलोमीटर का सफर तय करने का फैसला लिया।

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बेबस पिता जिला अस्पताल से जब बेटी के शव को बाइक पर रखकर निकला तो सड़क पर इस मंजर को देखने वालों के रोंगटे खड़े हो गए। कुछ लोगों ने बाइक को रूकवाया और उससे घटना के बारे में जानकारी ली। पिता की बेबसी देख लोगों के आंख भर आए। स्थानीय लोगों से मामले की सूचना शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य को मिली तो उन्होंने निजी स्तर से शव वाहन का व्यवस्था कर बाइक से शव ले जा रहे परिजनों को रुकवाया।

पीड़ित परिजनों के लिए समाजसेवी प्रवीण सिंह ने भोजन और पानी की व्यवस्था की। वहीं, कलेक्टर वंदना वैद्य ने अपने पास से पीड़ित परिजनों को आर्थिक सहायता भी दी। बहरहाल, इस घटना में शिवराज सरकार में संजीवनी एंबुलेंस सेवा की पोल खोलकर रख दी है। बता दें कि पिछले साल ही सीएम शिवराज ने राजधानी भोपाल में प्रदर्शनी लगाकर एक हजार एंबुलेंस का उद्घाटन किया था।