अज्ञात बीमारी में जकड़ा किसान का परिवार, सूख कर कंकाल बन चुका है शरीर, CM शिवराज ने नहीं की कोई मदद

मध्य प्रदेश के रीवा जिले के त्योंथर में अंजान बीमारी से जकड़े परिवार की बेजान हो रही काया, सीएम शिवराज से लगा रहे जिंदगी बचाने की गुहार, नहीं मिली कोई मदद

Updated: Sep 20, 2021, 12:13 PM IST

रीवा। मेडिकल साइंस के इस युग में मध्य प्रदेश का एक किसान परिवार अज्ञात बीमारी से जूझ रहा है। इस परिवार के 5 सदस्यों का शरीर पिछले कई वर्षों से सूखता जा रहा है। स्थिति ये है कि शरीर एक चलता फिरता कंकाल का रूप ले चुका है। प्रदेश में जीवन और मौत से जूझ रहे इस परिवार के सुध लेने वाला कोई नहीं है। पीड़ित परिजनों ने बताया कि उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान से कई बार मदद की गुहार लगाई लेकिन मदद तो दूर आश्वासन तक नहीं मिला। किसान परिवार इस बीमारी से इतना टूट चुका है कि उन्होंने सामुहिक आत्महत्या जैसे फैसले लेने की बात कही है।

मामला मध्य प्रदेश के रीवा के त्योंथर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत अंजोरा के ऊसरगांव का है। बताया जा रहा है कि गांव के रामनरेश यादव का परिवार पिछले 15 वर्षों से इस अज्ञात बीमारी से ग्रसित है। इस बीमारी का लक्षण ये है कि बच्चे शुरुआती 10 वर्ष के होने तक ठीक रहते हैं और उसके बाद जैसे-जैसे बड़े होते हैं, वे सूखते जाते हैं। पीड़ित किसान परिवार का घर त्योंथर तहसील से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर है।

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रामनरेश यादव के 3 पुत्र अनीश यादव, मनीष यादव, और मनोज यादव, उनकी एक पुत्री और स्वयं रामनरेश इस बीमारी से पीड़ित हैं। उनके बेटे मनीष यादव का शरीर सूखकर कांटा हो गया है। मनीष ने बताया कि साल 2005 से ही उन्हें इस बीमारी के लक्षण हैं। 2005 में ही एक बार उन्होंने दिल्ली जाकर ऐम्स में दिखाया था। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद परिवार के पास कभी इतने पैसे नहीं हुए की वे दिल्ली जाकर इलाज करवा सकें। 

मनीष के मुताबिक परिवार के सदस्य इतने कमजोर हो गए हैं कि खुद नहा-धो भी नहीं सकते। बिना मदद के दैनिक क्रिया भी कर पाना संभव नहीं है। इसमें उनकी मां और दो भाई जो स्वस्थ हैं वे उन्हें मदद करते हैं। सरकारी मदद को लेकर पूछे जाने पर मनीष कहते हैं कि उन्होंने कई बार सीएम शिवराज के घर और उनके कार्यालय में कॉल किया। पूरी समस्या बताई, लेकिन कोई मदद नहीं मिला। सीएम के अधिकारियों ने उनकी बात भी शिवराज सिंह चौहान से नहीं कराई। अब तो स्थिति ये है कि सीएम आवास और कार्यालय के सभी लोग मनीष को जान गए हैं और वे कॉल उठाते ही फोन काट देते हैं। 

मनीष के मुताबिक वे स्थानीय बीजेपी सांसद जनार्दन मिश्रा और बीजेपी विधायक श्याम लाल द्विवेदी से मिलकर उचित इलाज कराने और सीएम के संज्ञान में बात लाने की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन चुने हुए जनप्रतिनिधियों से उन्हें निराशा के अलावा कुछ हाथ नहीं लगी। मनीष ने बताया कि करीब दो हफ्ते पहले उन्होंने पूर्व सीएम व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह को मैसेज किया था। मनीष के मुताबिक कांग्रेस नेता ने उन्हें अपने स्तर से यथासंभव आर्थिक मदद देने का कहा और डॉक्टरों से परामर्श लेने में मदद करने के भी वादा किया।

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मनीष कहते हैं कि सरकार की बेरुखी ने तो हमें सामूहिक आत्महत्या के लिए विवश कर दिया था लेकिन दिग्विजय सिंह द्वारा मदद के आश्वासन मिलने के बाद एक बार फिर आस जगी है। मनीष ने यह भी कहा कि दिग्विजय सिंह निजी तौर पर हमें मदद कर सकते हैं, लेकिन हम सब के शरीर पर अच्छी रिसर्च की जरूरत है। उनका कहना है कि चूंकि राज्य और केंद्र में बीजेपी की सरकार है इसलिए वे सरकार से मदद की गुहार लगाने पर जोर दे रहे हैं ताकि अच्छे डॉक्टर उनका इलाज करें और उनका परिवार भी आम लोगों की तरह जीवन जी सके। 

मनीष ने कहा है कि वे मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं, यदि इसके बावजूद सरकार मदद नहीं करेगी तो वे सभी लोग राजधानी भोपाल आकर मुख्यमंत्री आवास के बाहर ही आत्महत्या करेंगे।