MP में डायल 112 लोकेशन से भटकी, 15 हजार जगहों के जियोग्राफिकल कॉर्डिनेट्स की फीडिंग में गड़बड़ी
आपातस्थिति में मदद पहुंचाने वाली इमरजेंसी सेवा डायल 112 इन लोकेशंस के जियोग्राफिकल कॉर्डिनेट्स की सिस्टम में गलत फीडिंग से यह हालात बने हैं।
भोपाल। मध्य प्रदेश में 14 अगस्त 2025 से डायल 100 की जगह डायल 112 सेवा शुरू की गई है। दावा किया गया कि इसमें अधिक अत्याधुनिक तकनीक और बेहतर रिस्पॉन्स की सुविधा होगी। नई बोलेरो नियो गाड़ियां राज्यभर में तैनात की गईं हैं और कहा गया कि कॉल करने पर शिकायतकर्ता की लोकेशन भी जीपीएस से ट्रैक की जा सकेगी। लेकिन हालात ये हैं कि डायल 112 लगातार लोकेशन से भटक रही हैं।
उदाहरण के तौर पर भोपाल के गौतम नगर थाना क्षेत्र में एक डायल 112 की स्क्रीन पर कंट्रोल रूम से पॉइंट तय किया जाता है कि उसे नारियलखेड़ा तिराहे पर खड़ा होना है, लेकिन जब वह इस मैसेज के आधार पर मैप को फॉलो करती है तो तिराहे से करीब 500 मीटर दूर मिलिट्री पुलिया के पास पहुंच जाती है और वहां खड़ी हो जाती है। यह स्थिति अकेले भोपाल की नहीं, मप्र की करीब 15 हजार संवेदनशील लोकेशंस की है।
आपातस्थिति में मदद पहुंचाने वाली इमरजेंसी सेवा डायल 112 (पहले डायल 100) इन लोकेशंस के जियोग्राफिकल कॉर्डिनेट्स (अक्षांश व देशांतर की स्थिति) की सिस्टम में गलत फीडिंग से यह हालात बने हैं। लगातार शिकायतों के बाद पुलिस की रेडियो शाखा ने सभी 15 हजार लोकेशन के अक्षांश-देशांतर की फीडिंग में आई गड़बड़ी को सुधरवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
पहले (डायल-100) इमरजेंसी सेवा का ज्यादातर काम मैनुअल तरीके से होता था। नई डायल-112 सेवा को कंप्यूटर एडेड डिस्पैच (सीओडी) सिस्टम से संचालित किया जा रहा है। यदि कोई कॉलर मदद के लिए डायल-112 पर कॉल करता है तो उसकी लोकेशन के इर्द-गिर्द की एफआरवी को सीओडी ही सर्च करेगा, उसकी शिकायत का फॉर्म इसी सीओडी से खुलेगा और एफआरवी में बैठे पुलिसकर्मियों को स्क्रीन पर कॉलर की लोकेशन भी सीओडी से ही नजर आएगी।
सीओडी पर प्रदेशभर के पुलिस अधीक्षकों से मंगवाई गई 15 हजार लोकेशन फीड हैं। ये वे लोकेशंस हैं, जिन्हें पुलिस अधीक्षकों ने अपने जिलों में कानून व्यवस्था, अपराध के स्थान या सेंसटिव स्पॉट मानते हुए बनाया था। सूत्रों का कहना है कि इन लोकेशंस को सीओडी में फीड करने के दौरान अक्षांश-देशांतर का अंतर रह गया। इसलिए सीओडी से जनरेट हो रही रेंडम लोकेशन में परेशानी आ रही है। अब इसे रीचैक किया जा रहा है।
मामले पर एआईजी डायल 112 नीतू ठाकुर ने कहा कि नया सिस्टम आता है तो उसमें बहुत सी चुनौतियां भी आती हैं। विभिन्न स्थानों की लोकेशन को सुधारकर और डायल-112 का कस्टमाइजेशन कर इस इमरजेंसी सिस्टम को और बेहतर बना रहे हैं।




