इकबाल सिंह बैंस ही रहेंगे MP के चीफ सेक्रेटरी, 6 महीने के लिए बढ़ाया गया कार्यकाल

केन्द्र सरकार ने सीएम शिवराज के आग्रह पर मौजूदा मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को छह महीने का एक्सटेंशन दे दिया है, अब वे 30 मई तक बतौर चीफ सेक्रेटरी सेवाएं देंगे।

Updated: Nov 30, 2022, 10:13 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में चीफ सेक्रेटरी को लेकर चल रहे कयासों पर आज विराम लग गया है। इकबाल सिंह बैंस ही प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी रहेंगे। सीएम शिवराज के आग्रह पर केंद्र सरकार ने मौजूदा मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को छह महीने का एक्सटेंशन दे दिया है। इसी के साथ अब वे 30 मई तक बतौर चीफ सेक्रेटरी सेवाएं देंगे।

दरअसल, मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस का कार्यकाल आज खत्म होने वाला था। ऐसे में काफी समय से कयास लग रहे थे कि सीएम शिवराज किसी दूसरे आईएएस अधिकारी को चीफ सेक्रेटरी बनाएंगे। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री ने इकबाल सिंह बैंस पर भरोसा जताते हुए केंद्र सरकार से उनका कार्यकाल बढ़ाने का आग्रह किया था। केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय से इसकी मंजूरी मिल गई है। बता दें कि चीफ सेक्रेटरी के लिए केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर सेवाएं दे रहे अनुराग जैन और एसीएस हेल्थ एंड मेडिकल एजुकेशन मो.सुलेमान के नाम की अटकलें थीं। 

कौन हैं इकबाल सिंह बैंस 

इकबाल सिंह बैंस सीएम चौहान के सबसे भरोसेमंद अधिकारियों में से एक हैं। एमपी के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस 1985 बैच के आईएएस अफसर हैं। वे मुख्यमंत्री कार्यालय में सचिव, प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव रह चुके हैं। बैंस जुलाई 2013 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर संयुक्त सचिव बनकर चले गए थे, तो उन्हें सरकार बनने के बाद अगस्त 2014 में मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से आग्रह करके वापस बुलाया और अपना प्रमुख सचिव बनाया था।

यह भी पढ़ें: MP में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल: 2400 सरकारी स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं, एक शिक्षक के भरोसे 8 हजार से ज्यादा स्कूल

दिलचस्प बात ये है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन के बाद बैंस की पहली पोस्टिंग 21 जनवरी 1993 को सीएम चौहान के गृह जिले सीहोर में ही हुई थी। बैंस को सख्त प्रशासक माना जाता है। वे खंडवा, गुना और भोपाल कलेक्टर भी रह चुके हैं। दिग्विजय सिंह की सरकार में 01 अगस्त 1996 को उन्हें भोपाल का कलेक्टर बनाया गया था। भोपाल में उन्होंने अपने प्रशासनिक दक्षता का परिचय दिया और विकास के साथ काननू व्यवस्था को दुरुस्त किया। इसके बाद एक अगस्त 1999 से 01 जून 2000 तक चुनाव और लॉ एंड जस्टिस डिपार्टमेंट मध्य प्रदेश में ज्वाइंट चीफ इलेक्टोरल डायरेक्टर भी रहे।