MP में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल: 2400 सरकारी स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं, एक शिक्षक के भरोसे 8 हजार से ज्यादा स्कूल

प्रदेश भर में 12 हजार से अधिक शिक्षक शिक्षा विभाग को छोड़कर संभाल रहे अन्य विभागों में कामकाज, अधिकांश शिक्षक दफ्तरों में बाबूगिरी करने में ही खुश, नहीं चाहते पढ़ाना, चौपट हो रहा नौनिहालों का भविष्य।

Updated: Nov 30, 2022, 07:36 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है। प्रदेश में 2400 सरकारी स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं। 8 हजार से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जो सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। यह खुलासा स्कूली शिक्षा विभाग के एक आदेश से हुआ है, जिसमें कहा गया है कि ऐसे स्कूलों में अतिथि शिक्षकों को नियुक्त किया जाए।

लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी आदेश से पता चलता है कि मध्य प्रदेश में 2357 स्कूल शिक्षक विहीन है। 8307 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। इनमें अतिथि शिक्षकों को नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं। 

दरअसल, मध्य प्रदेश में एक साथ करीब 26 हजार शिक्षकों के इस बार मनचाहे ट्रांसफर कर दिए गए। चुनाव पूर्व शिक्षकों को खुश करने के लिए विभाग ने ट्रांसफर तो कर दिए, लेकिन अब करीब 2400 स्कूल में एक भी शिक्षक नहीं बचा, तो 8 हजार से ज्यादा स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग ने अब इन स्कूलों में अतिथि शिक्षक रखने की मंजूरी दे दी है।

इतना ही नहीं प्रदेश भर में 12 हजार से अधिक शिक्षक शिक्षा विभाग छोड़कर अन्य विभागों में कामकाज संभाल रहे है। अधिकांश शिक्षक दफ्तरों में बाबूगिरी करने में ही खुश हैं। इन शिक्षकों को बाबूगिरी का काम इतना पसंद आ रहा है कि अटैचमेंट खत्म होने के बाद भी मूल विभाग में वापस नहीं आ रहे हैं। वे छात्रों को पढ़ाने के बजाए दफ्तरों में "जी हुजूरी" कर रहे हैं। 

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इन शिक्षकों में कुछ कलेक्ट्रेट कार्यालय, मंत्रालय, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, मंत्री और अन्य अधिकारियों के यहां अटैच हैं। हालांकि विभाग की ओर से शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति और अटैचमेंट खत्म कर दिया गया है।अटैचमेंट खत्म होने के आदेश के बावजूद शिक्षकों को मूल विभाग में वापस लाने के आदेश बेअसर साबित हो रहे हैं।

शासकीय शिक्षक संगठन के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र कौशल ने बताया कि अटैचमेंट और प्रतिनियुक्ति दोनों मिलाकर प्रदेश भर में 12000 से ज्यादा शिक्षक मूल विभाग को छोड़कर अन्य विभागों में कामकाज संभाल रहे हैं। अटैचमेंट और प्रतिनियुक्ति पर गए शिक्षकों के कारण ही स्कूलों में शिक्षकों की कमी और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

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राज्य में स्कूलों की बदतर हालत पर छात्र संगठन एनएसयूआई ने सीएम चौहान पर हमला बोला है। छात्र नेता रवि परमार ने कहा कि, 'मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने बेटे को पढ़ने के लिए अमेरिका भेजते हैं। लेकिन किसान-मजदूर के बच्चों के लिए 2400 स्कूलों में एक शिक्षक तक नहीं हैं। प्रदेश के नौनिहालों का भविष्य चौपट हो रहा है। मामा शिवराज प्रदेश के बच्चों के लिए कंस मामा हैं। कांग्रेस ने लोगों को शिक्षा का संवैधानिक अधिकार (Right to Education) दिया। लेकिन बीजेपी चाहती है कि गरीब का बेटा पढ़े नहीं। उन्हें डर है कि किसान के बच्चे पढ़ लेंगे तो फिर सवाल पूछना शुरू कर देंगे, अपने हक के लिए लड़ेंगे।'