वन विभाग की प्रताड़ना से तंग आकर आदिवासी महिला ने पिया जहर, खड़ी फसल को रौंदने पहुंची थी टीम

झाबुआ विधानसभा क्षेत्र के बोरी उप ब्लॉक स्थित फुटतलाब गांव का मामला, 40 साल से अधिक समय से जमीन पर खेती कर रहा था परिवार, वन विभाग की टीम कब्जा हटाने पहुंची तो महिला ने पिया जहर

Updated: Jan 06, 2024, 01:47 PM IST

झाबुआ। मध्य प्रदेश में PESA कानून के लागू होने के बावजूद आदिवासियों को उनका अधिकार नहीं मिल पा रहा है। आदिवासियों को जमीन से बेदखली की आए दिन खबरें सामने आ रही है। झाबुआ में वन विभाग की प्रताड़ना से तंग आकर एक आदिवासी महिला ने जहर पी लिया। मामले पर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रदेश में ना FRA का पालन हो रहा है ना PESA का। केवल वोट की राजनीति के अलावा आदिवासियों के अधिकारों का हनन हो रहा है।

जानकारी के मुताबिक वन विभाग की टीम झाबुआ विधानसभा क्षेत्र के बोरी उप ब्लॉक स्थित फुटतलाब गांव में अतरी बाई के आधिपत्य की जमीन छीनने पहुंची थी। वन विभाग के लोग जेसीबी से उनके खेत में गड्ढे कर रहे थे। अतरी बाई ने उन्हें रोकने की खूब कोशिशें की लेकिन वह नहीं माने। परेशान होकर अतरी बाई ने खेत में ही कीटनाशक दवा पी लिया। इसके बाद उन्हें आनन फानन में अलीराजपुर स्थित शासकीय अस्पताल ले जाया गया।

घटना दिसंबर के आखिरी हफ्ते की है और अतरी बाई की हालत अब ठीक है। अतरी बाई ने बताया कि उनका परिवार उस जमीन पर कई पीढ़ियों से खेती कर रहा है। लेकिन अब अचानक उसे अवैध कब्जा बताकर वन विभाग उन्हें बेदखल करने पर आमदा है। वन विभाग के लोग खड़ी फसल पर जेसीबी चला रहे थे। महीनों की मेहनत को नष्ट होता देख वह खुद को संभाल नहीं पाईं और जहर पी लिया। अतरी बाई कहती हैं कि उनके 6 बच्चे हैं और खेती से ही उनका भरण पोषण होता है। यदि सरकार इस तरह जमीन से बेदखल करेगी तो उनका गुजारा कैसे होगा?

घटना को लेकर स्थानीय विधायक डॉ विक्रांत भूरिया ने कहा कि वनअमला आदिवासियों को लगातार प्रताड़ित कर रहा है। आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार ने PESA कानून के नाम पर आदिवासियों को छला है। अब आदिवासियों को जमीन से बेदखल किया जा रहा है। लेकिन हम यह होने नहीं देंगे। घटना की सूचना मिलते ही मैंने अस्पताल जाकर अतरी बाई से मुलाकात की थी और उन्हें भरोसा दिलाया कि इस लड़ाई में हम सब आपके साथ खड़े हैं।