मरीज़ की मौत के बाद इस्तीफा देने वाले डॉक्टर ने अपना मन बदला, स्वास्थ्य मंत्री के कहने पर अपना इस्तीफा लिया वापस

प्रभुराम चौधरी के कहने पर जेपी अस्पताल के डॉक्टर योगेंद्र श्रीवास्तव ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है, योगेंद्र श्रीवास्तव की निगरानी में इलाज के दौरान एक मरीज़ की मौत हो गई थी, मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लगाया था लापरवाही बरतने का आरोप

Publish: Apr 12, 2021, 06:27 AM IST

भोपाल। मरीज़ के इलाज में लापरवाही के आरोपों को झेल रहे जेपी अस्पताल के डॉक्टर ने अपना मन बदल लिया है। डॉ योगेंद्र श्रीवास्तव ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक श्रीवास्तव ने अपना इस्तीफा वापस लेने का फैसला शिवराज सरकार में स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी के कहने पर लिया है। खुद स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने डॉक्टर से इस्तीफा वापस लेने के लिए आग्रह किया था। जिसके बाद चौधरी ने यह फैसला लिया। 

डॉ योगेंद्र श्रीवास्तव पर मृतक के परिजनों ने मरीज़ के इलाज में कोताही बरतने का आरोप लगाया था। मरीज़ की मौत के बाद कांग्रेस नेता पीसी शर्मा और उनके समर्थक शनिवार दिन में डॉक्टर से बात करने अस्पताल पहुंचे थे। लेकिन डॉक्टर ने मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था। डॉक्टर ने इसके बाद इस्तीफा दे दिया था। 

डॉक्टर के इस्तीफा प्रकरण पर कांग्रेस से जुड़े लोगों का कहना है कि डॉक्टर ने कांग्रेस के विधायकों को नीचा दिखाने के इरादे से अपने इस्तीफे का प्रपंच रचा था। खुद डॉक्टर को भी पता था कि उनका इस्तीफा मंजूर नहीं होगा। चूंकि कांग्रेस नेताओं ने अस्पताल पहुंच कर डॉक्टर को मरीज़ के मौत मामले में बात करने के लिए कहा, इसलिए योगेंद्र श्रीवास्तव ने अपने इस्तीफे की कहानी गढ़ी।

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कांग्रेस नेता पीसी शर्मा ने डॉक्टर द्वारा इस्तीफा वापस लिए जाने पर कहा है कि वे बस डॉक्टर योगेंद्र श्रीवास्तव से इतनी मांग करते हैं कि वे अस्पताल में आए मरीजों का अच्छे से इलाज करें। किसी मरीज़ को तख्त सिंह शाक्य की तरह ज़िन्दगी से हाथ धोना न पड़े, यही उनकी अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर योगेंद्र श्रीवास्तव से मांग है। 

वहीं मृतक के परिजनों ने रविवार को कोलार तिराहे के पास बीच सड़क पर शव को रख कर प्रदर्शन किया। मृतक के परिजनों ने मौत मामले की जांच और आर्थिक मुजावजे की मांग की। इसके साथ ही परिजनों ने परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग भी रखी। 

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दरअसल राजधानी के भीम नगर में रहने वाले तख्त सिंह शाक्य को सांस में तकलीफ़ की शिकायत के बाद शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात को जेपी अस्पताल ले जाया गया। परिजनों के मुताबिक पहले तो अस्पताल प्रबंधन ने मरीज़ को भर्ती करने से मना कर दिया। इसके बाद देर रात 12.30 बजे मरीज़ को भर्ती किया गया। परिजनों का आरोप है कि इलाज के दौरान भी अस्पताल प्रबंधन लगातार परिवार पर मरीज़ को दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए दबाव बनाता रहा। इसके बाद जानबूझकर मरीज़ के चेहरे से ऑक्सीजन मास्क निकाल दिया गया।