करणी सेना का आंदोलन चौथे दिन भी जारी, शेरपुर ने दिलाई कसम- जिंदगी में कभी बीजेपी को वोट नहीं देना

करणी सेना के लोग आज मंगलवार को भी अवधपुरी जाने वाली रोड पर ही धरने पर बैठे हुए हैं। उन्होंने साफ कहा है कि हम यहां से नहीं हटेंगे, जबतक हमारी मांगें पूरी न हो जाए।

Updated: Jan 11, 2023, 04:37 AM IST

भोपाल। आर्थिक आधार पर आरक्षण, एट्रोसिटी एक्ट में बदलाव समेत 21 सूत्री मांगों को लेकर भोपाल में करणी सेना परिवार का आंदोलन आज चौथे दिन भी जारी है। करणी सैनिक भेल एरिया में स्‍थित महात्‍मा गांधी चौराहे के समीप रोड़ पर बैठे हुए हैं। करणी सेना परिवार के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर व अन्य साथियों के भूख हड़ताल का भी आज चौथा दिन है। मेडिकल चेकअप में फिलहाल वे स्वस्थ पाए गए।

दरअसल, सोमवार को करणी सैनिक ज्‍योति टाकीज चौराहा पहुंचकर महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्‍यार्पण करना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें बैरिकेडिंग कर महात्मा गांधी चौराहे पर रोक दिया। इसके बाद पिछले दो दिन से वह वहीं धरने पर बैठे हुए हैं। 

धरना स्थल पर हजारों की संख्या में महिलाएं और पुरुष मौजूद हैं। नतीजतन महात्मा गांधी चौराहे से अवधपुरी तिराहे तक रास्ता बंद है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 3000 पुलिसकर्मी मौके पर तैनात हैं। मंगलवार देर रात वहां सुंदरकांड का पाठ भी किया गया। इस दौरान हजारों करणी सैनिक सुंदर काण्ड का पाठ करते नजर आए। 

इधर जीवन सिंह शेरपुर व अन्य का भूख हड़ताल भी जारी है। 8 दिसंबर को 5 लोग भूख हड़ताल पर बैठे थे। मंगलवार को दो और बढ़ जाने से संख्या 7 हो गई। इनमें एक स्टूडेंट मानवेंद्र सेंगर है और एक दलित युवक विनोद सुनार्थी। विनोद ने कहा कि मैं भले अनुसूचित जाति से आता हूं लेकिन इनकी सभी मांगें जायज हैं इसलिए इनके समर्थन में भूख हड़ताल कर रहा हूं।

आंदोलन की अगुवाई जीवन सिंह शेरपुर का एक वीडियो सामने आया। इसमें वे प्रदर्शनकारियों और अपने समर्थकों को भाजपा को वोट नहीं देने की कसम खिला रहे हैं। उन्होंने कहा- हम परिवर्तन करने आए हैं, व्यवस्था में परिवर्तन तभी आएगा। मर जाना, लेकिन कसम खालो BJP को वोट नहीं देना। अगर जीवन सिंह के मरने के बाद भी उसे जीवित रखना है, तो मेरे मरने के बाद कोई उपद्रव नहीं करना, बल्कि ऐसे ही शांतिपूर्ण तरीके से यहीं बैठे रहना।

शेरपुर ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, 'हम नहीं चाहते किसी को परेशानी हो लेकिन सरकार हमारी बात सुनना ही नहीं चाहती। सरकार के लोग सोच रहे हैं कि हम खुद थक हार कर वापस चले जाएंगे। वे यह बात दिमाग से निकाल दें अब हम भोपाल से तभी जाएंगे जब हमारी मांगें मानी जाएंगी या हम यहीं भूखों मर जाएंगे लेकिन हटेंगे नहीं। हमारे जो लोग अपने घर चले गए थे वे वापस आ रहे हैं हमने उन्हें मना किया है लेकिन लोग मान नहीं रहे हैं।'