जी भाईसाहब जी: अंतत: संघ के आगे मोहन यादव सरकार का लैंड सरेंडर

Simhastha 2028: आखिरकार, उज्‍जैन में वही हुआ जो आरएसएस या भारतीय किसान संघ ने चाहा। मोहन सरकार को अपनी सारी प्‍लानिंग को छोड़ कर झुकना पड़ा। इस तरह चार माह चले राजनीतिक घटनाक्रम का पटाक्षेप संगठन की ताकत आगे सत्‍ता के सरेंडर से हुआ।

Updated: Nov 04, 2025, 03:13 PM IST

सिंहस्‍थ 2028 को भव्‍य और सुविधापूर्ण बनाने के लिए उज्‍जैन में संसाधन जुटाए जा रहे हैं। सड़कों के निर्माण पर करोड़ो व्‍यय किए जा रहे हैं। इस क्रम में मोहन यादव सरकार ने लीक से हट कर काम करने की तैयारी की थी। योजना थी कि सिंहस्‍थ के लिए स्थाई सिटी बसा दी जाए। अब तक सरकार 1 वर्ष के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित किया करती थी। बाकी 11 वर्ष किसान खेती किया करते थे। अस्‍थाई के बदले स्‍थाई सिटी बसाने की मोहन यादव सरकार के फैसले से किसान खफा हो गए।

किसानों को भारतीय किसान संघ का साथ मिला। संघ कमर कस कर मैदान में उतर आया। न केवल उज्‍जैन में सडकों पर ट्रैक्टर रैली निकाली गई बल्कि दिल्‍ली तक कमरा बंद बैठकों में मोहन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया। किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा था कि मुख्यमंत्री भोपाल में बयार दे रहे हैं। उन्‍हें किसानों के बीच आकर बात करनी चाहिए।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने टॉप अफसरों के साथ दिल्‍ली जा कर गृहमंत्री अमित शाह के समझ योजना का प्रेजेंटेशन भी दिया था। बताया गया था कि लैंड पुलिंग योजना प्रयागराज के कुंभ से प्रेरित है। जब किसान संघ विरोध कर रहा था तब सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि किसानों से चर्चा कर योजना को लागू किया जाएगा। इस योजना के पक्ष में सरकार की ओर से तर्क दिया गया था कि गृहमंत्री अमित शाह भी योजना से सहमत हैं। मगर किसान संघ टस से मस न हुआ।

अंतत: अब सरकार ने संघ की बात मान ली है। तय किया गया है कि किसानों से दो साल के लिए ही जमीन ली जाएगी। उस पर अस्थाई काम होंगे। सिंहस्थ खत्म होने के बाद जमीन लौटा दी जाएगी। 2016 में सिंहस्थ के लिए करीब 3200 हेक्टेयर जमीन ली थी। इसमें से कुछ हेक्टेयर का उपयोग नहीं हुआ था। इस बार भी इतनी ही जमीन ली जाएगी और उसका 100 फीसद क्षेत्रफल उपयोग किया जाएगा।

इस पूरे मामले को विधानसभा में बीजेपी विधायक चिंतामणि मालवीय ने उठाया था। लेकिन सरकार के विरोध में बोलने पर बीजेपी संगठन ने विधायक चिंतामणि मालवीय को नोटिस थमा दिया था। मगर किसान संघ के आगे सत्‍ता की चली नहीं। तमाम तर्कों के बाद भी सरकार को झुकना ही पड़ा।

यह राजनीतिक रूप से एक संदेश भी है कि सत्‍ता पर संघ और संगठन का कितना प्रभाव है। या यूं समझिए कि सत्‍ता सूत्र किसके हाथ में हैं। यूं सत्‍ता को उसकी चाल पर चलने दिया जाएगा लेकिन जब संघ अगर किसी मोर्चें पर उतर जाएगा तो सत्‍ता उसके विरोध को नजरअंदाज नहीं कर पाएगी।

कर्ज से दम फुल रहा, पत्र वायरल हो रहा

मध्‍य प्रदेश सरकार का कर्ज से दम फुल रहा है। यह बात विपक्ष कहता था तब तक का तो ठीक था लेकिन अब तो खुद सरकार भी यही बात कह रही है। सीएम डॉ. मोहन यादव का केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रहलाद जोशी को लिखा एक पत्र वायरल हुआ। पत्र लिख कर सीएम ने मांग की है कि राज्य सरकार किसानों से गेंहू और धान की खरीदी करने में असमर्थ है। यह काम केंद्र सरकार सीधे करे। हालांकि राज्य सरकार ने कहा है कि यह प्रक्रिया में बदलाव भर है और इस व्यवस्था से किसानों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पत्र में लिखा है कि नागरिक आपूर्ति निगम पर करीब 77,000 करोड़ रुपए का भारी-भरकम कर्ज है। केंद्र से समय पर पैसा नहीं मिलने से यह कर्ज चुकाने में दिक्‍कत हो रही है इसलिए अब गेहूं और धान सीधे केंद्र ही खरीदे। मूल रूप से यह प्रशासनिक व्‍यवस्‍था का मामला है लेकिन इस खत की इबारत ने पुराने आरोपों को हवा दे दी है। विपक्ष और आर्थिक विशेषज्ञ तो अधिक कर्ज लेने के निर्णय पर सवाल उठाते रहे हैं अब तो सरकार भी स्‍वीकार कर रही है कि कर्ज चुकाना उसके लिए भारी पड़ रहा है।

यह भी सार्वजनिक है कि लाड़ली बहना योजना ने सत्‍ता में बीजेपी के आने में बड़ी भूमिका निभाई। इस योजना के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है। विपक्ष बार-बार योजना बंद होने की आंशका जता रहा है लेकिन सरकार कर्ज लेकर भी योजन को जारी रखे हुए है। अलबत्‍ता बहनों को दी जाने वाली राशि बढ़ा दी गई है। जाहिर है, एक योजना में बड़ी राशि खर्च करने पर सरकार को आर्थिक पाबंदियां लागू करनी पड़ेंगी। यही हो रहा है। किसानों के मामले पर सरकार कटघरे में है। विपक्ष कह रहा है कि सरकार उपज खरीदने के फैसले से बच रही है जबकि सरकार कह रही है कि केवल प्रक्रिया बदली जा रही है। फसल कोई भी खरीदे इस पत्र से यह तो समझ आ गया है कि सरकार ऊपर-ऊपर कह रही है कि ऑल इज वेल मगर अंदर कर्ज पूरे सिस्टम को खा रहा है। कर्ज से सरकार का दम फुल रहा है और वह राहत के उपाय खोज रही है।

मंत्री जी ने डराने आए थे, वीडियो ही हटाना पड़ा

आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास जैसा मुहावरा इनदिनों पर्यटन और संस्‍कृति मंत्री धर्मेंद्र लोधी पर सटीक लागू हो रहा है। एक यूट्यूबर ने उन पर तथा एक अन्‍य मंत्री लखन पटेल पर शराब माफिया से मिलीभगत के आरोप लगा दिए। यह बात मंत्री धर्मेंद्र लोधी को नागवार गुजरी। उन्‍होंने एक एफबी लाइव किया।

मंत्री धर्मेंद लोधी ने एफबी लाइव में कहा कि नेताओं की छवि धूमिल की तो पुलिस पकड़ेगी भी और पिटेगी भी। यह छवि बिगाड़ने वाले यूट्यूबर को सीधे-सीधे संदेश था। मंत्री के निर्देश पर पुलिस ने आरोपी यूट्यूबर को पकड़ा भी और कार्रवाई भी की। लेकिन इस डराने के उपक्रम में एक चूक हो गई। 45 मिनट के एफबी लाइव में यूट्यूबर को संदेश देते-देते मंत्रीजी बिहार में शराब की अवैध बिक्री पर बोल गए। ऐसा कि खुद की पार्टी पर सवाल उठ गए।

एफबी लाइव में मंत्री धर्मेंद लोधी कहते सुनाई दिए कि, "समाज में शराब पीने से कोई नहीं रोक सकता। जो पीना चाहते हैं, वे कोई न कोई रास्ता ढूंढ ही लेंगे। बिहार और गुजरात में हमारी सरकारों ने शराब पर बैन लगा रखा है, लेकिन हाल ही में चुनाव प्रचार के लिए बिहार गए कुछ नेताओं ने मुझे बताया कि अगर आप एक कॉल करेंगे तो शराब घर पर डिलीवर हो जाएगी।"

बिहार में चुनावों से ठीक मंत्री कह रहे हैं कि नीतिश कुमार सरकार में शराब बंदी ठीक से लागू नहीं हुई। उनके इस बयान ने राजनीतिक बहस छेड़ दी। विपक्ष हमलावर था तो उनकी पार्टी इस बयान का समाधान खोज रही थी। वीडियो से किरकिरी हुई तो मंत्री धर्मेंद्र लोधी ने वीडियो हटा दिया और सफाई जारी की। मंत्री कह रहे हैं एफबी लाइव लंबा था और उसके हिस्‍से को काट कर बयान को तोड़ा मोड़ कर पेश किया गया है। यह विपक्ष की साजिश थी। मंत्री जी तो विदेश यात्रा पर चले गए हैं। वे कह रहे हैं तो सही कह रहे होंगे लेकिन उनके स्‍पष्‍टीकरण पर भी कई सवाल उठे हैं। एक तो यही कि अगर गलत नहीं था तो वीडियो हटाया क्‍यों गया?

सागर में कांग्रेस का मोर्चा, रस्म अदायगी से आगे की बात

सागर में कांग्रेस का प्रदर्शन चर्चा में आ गया है। सागर शहर कांग्रेस कमेटी ने कुछ स्थानों पर सांसद डॉ. लता वानखेड़े, विधायक शैलेंद्र जैन और महापौर संगीता तिवारी के लापता होने के पोस्टर चिपका दिए। आरोप है कि मोतीनगर चौराहे से धर्मश्री तक मार्ग चौड़ीकरण व अतिक्रमण हटाने में भेदभाव किया जा रहा है। जहां कार्रवाई की गई, वह शहर विधायक शैलेंद्र जैन का वार्ड है। इसके बाद भी उन्होंने अपने ही वार्डवासियों की समस्याओं को अनसुना कर दिया।

इन्हीं आरोपों के साथ कांग्रेस ने विधायक निवास के बाहर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन से यह सवाल भी उठा कि यह कार्रवाई नगरीय निकाय द्वारा की जा रही है तो कांग्रेस के निशाने पर महापौर होना चाहिए। विधायक निवास पर प्रदर्शन क्‍यों हुआ?

असल में बीते 10 सालों में यह पहला मौका था जब कांग्रेस ने सागर से बीजेपी विधायक शैलेंद्र जैन के निवास पर कांग्रेसियों ने प्रदर्शन किया। यह राजनीतिक लीक को तोड़ने का काम था। सभी जानते है कि सागर में महापौर से ज्यादा प्रभाव विधायक शैलेंद्र जैन का है। इसलिए यह प्रदर्शन विरोध जताने की रस्म से आगे प्रभावी नेता को घेरने की कोशिश माना गया। इसने यह संदेश दिया कि कांग्रेस अब केवल नगर निगम या कलेक्टोरेट के गेट पर प्रदर्शन करने की खानापूर्ति करने को राजी नहीं है। वह जिम्‍मेदारों को घेरेगी।