MP से बाघिन को लेकर राजस्थान पहुंचा एयरफोर्स का हेलीकॉप्टर, देश का पहला इंटर स्टेट टाइगर ट्रांसलोकेशन

मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व से एक बाघिन को भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलिकॉप्टर से रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व लाया गया। यह राजस्थान का पहला अंतर्राज्यीय और पहला हवाई बाघ ट्रांसलोकेशन है

Updated: Dec 22, 2025, 01:01 PM IST

मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व से एक बाघिन को रविवार को राजस्थान के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में सफलतापूर्वक स्थानांतरित कर दिया गया। यह राजस्थान के वन्यजीव संरक्षण इतिहास का पहला अंतर्राज्यीय और पहला हवाई बाघ ट्रांसलोकेशन है।

बाघिन को पेंच टाइगर रिजर्व से भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलिकॉप्टर के जरिए जयपुर लाया गया। जयपुर एयरपोर्ट पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था के बीच हेलिकॉप्टर की लैंडिंग कराई गई। इसके बाद बाघिन को सड़क मार्ग से बूंदी स्थित रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व ले जाया गया और वहां सुरक्षित छोड़ा गया।

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इस पूरे ऑपरेशन के लिए सेना के एमआई-17 हेलिकॉप्टर की मदद ली गई, जो पेंच से सीधे जयपुर पहुंचा। हवाई मार्ग से ट्रांसलोकेशन का यह तरीका इसलिए अपनाया गया ताकि बाघिन को कम से कम तनाव हो और समय की बचत के साथ अधिक सुरक्षित तरीके से स्थानांतरण किया जा सके।

जानकारी के अनुसार, बाघिन को रामगढ़ विषधारी लाने की तैयारी पिछले करीब 25 दिनों से चल रही थी। पेंच टाइगर रिजर्व में विशेषज्ञों की एक टीम तैनात थी जो बाघिन की निगरानी, ट्रैकिंग, रेडियो कॉलर लगाने और स्वास्थ्य परीक्षण में जुटी हुई थी। रेडियो कॉलर हटने के बाद बाघिन के जंगल की ओर बढ़ जाने से ऑपरेशन और चुनौतीपूर्ण हो गया था। हालांकि, हाथियों की मदद से उसे ट्रैंकुलाइज कर सुरक्षित काबू में लिया गया।

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हेलिकॉप्टर से बूंदी तक किए गए इस ट्रांसलोकेशन को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से जोड़कर देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि उनके समन्वय और पहल से केंद्र और राज्य स्तर पर जरूरी अनुमतियां, संसाधन और सुरक्षा व्यवस्थाएं समय पर उपलब्ध हो सकीं जिससे यह जटिल ऑपरेशन संभव हो पाया।

रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बाघिन को फिलहाल बजालिया एंक्लोजर में रखा जाएगा। यहां उसकी सेहत, सुरक्षा और गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखी जाएगी ताकि वह नए वातावरण के साथ सुरक्षित रूप से अनुकूलन कर सके।

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गौरतलब है कि इससे पहले राजस्थान में कभी भी बाघ का ट्रांसलोकेशन नहीं हुआ था। देश में बाघ ट्रांसलोकेशन का एक प्रयास साल 2008 में ओडिशा में किया गया था, जो असफल रहा था। ऐसे में रामगढ़ विषधारी में यह सफल ट्रांसलोकेशन न केवल बूंदी बल्कि पूरे राजस्थान के लिए वन्यजीव संरक्षण की एक नई शुरुआत माना जा रहा है।