खरगोन: मुस्लिमों का डर दिखा बजरंग दल नेता ने हड़पी किसानों की सैंकड़ों एकड़ जमीन

तंजीम-ए-जरखेज नाम से हिंदुओं ने बनाई ट्रस्ट, किसानों को कहा कि यहां बूचड़खाना और कब्रिस्तान बन जाएगा, मुस्लिम लोग रहेंगे इस तरह धर्म का डर दिखाकर सैंकड़ों एकड़ जमीन औने पौने भाव में खरीद ली।

Updated: Oct 28, 2022, 11:28 AM IST

Photo Courtesy: NDTV
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खरगोन। रामनवमी के बाद सांप्रदायिक दंगों को लेकर मीडिया सुर्खियों में रहे खरगोन से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां बजरंग दल के नेता ने मुस्लिमों का डर दिखा हिंदू किसानों से सैंकड़ों एकड़ जमीन हड़प ली। आरोपियों ने किसानों को बताया कि वे मुस्लिमों से चारों ओर से घिर जाएंगे। यहां कब्रिस्तान बनाया जाएगा और बूचड़खाना खोला जाएगा। और इस तरह हिंदुओं की बेशकीमती जमीन को औने पौने भाव में ट्रस्ट के नाम रजिस्टर करवा लिया।

दरअसल, साल 2002 के आखिर में में तंजीम-ए-जरखेज नाम की एक संस्था की रजिस्ट्री की गई। मुस्लिम नाम वाली इस संस्था के सभी मेंबर्स हिंदू थे। संस्था ने जाकिर शेख नाम के एक मुस्लिम व्यक्ति को मैनेजर नियुक्त किया। जाकिर शेख बड़ी बड़ी दाढ़ी रखते थे। शेख की मदद से हिंदू समुदाय के लोगों को ये बताया गया कि आसपास की जमीन मुस्लिम संस्था ने खरीद लिया है। यहां आगे चलकर बूचड़खाना खोला जाएगा, कब्रिस्तान और मदरसा बनाया जाएगा। इस तरह तुमलोग मुस्लिमों से घिर जाओगे और भविष्य में दिक्कतें होंगी।

मुस्लिमों का डर दिखाकर यह संस्था करीब 200 एकड़ बेशकीमती जमीन औने पौने दाम में हड़पने में कामयाब रही। इसके बाद साल 2007 में संस्था का नाम बदलकर पीसी महाजन फाउंडेशन कर दिया गया। न्यूज चैनल एनडीटीवी से इस बारे में बातचीत के दौरान राजपुरा में रहने वाले नंदकिशोर बताते हैं कि वह इतना डर गए थे कि उन्होंने 40 हजार रुपए में ही लाखों की जमीन बेच दिया। वहीं दीपक कुशवाहा कहते हैं कि हमने सोचा कि वाद-विवाद में कहां पड़ेंगे, हमारी 9 एकड़ जमीन थी, हमने भी बेच दी।

एनडीटीवी ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि सिर्फ छोटे किसान ही नहीं, संजय सिंघवी जैसे कारोबारियों ने भी वहां खेती की जमीन बेची थी। वे कहते हैं, वहां रिश्तेदारों ने जमीन बेची, दबाव में उन्हें भी जमीन बेचनी पड़ी। हालांकि उनका कहना है कि उन्हें भाव अच्छा मिला, उनका कहना था कि वहां तंजीम-ए-जरखेज नाम देखकर हमारे रिश्तेदारों को लगा कि हज कमेटी बनेगी, मुस्लिम बस्ती बसेगी। घबराकर उन्होंने जमीन बेच दी। सबसे आखिर में हमने अपनी ज़मीन उनके और बबलू दलाल के बोलने पर बेची। उधर संस्था का नाम बदलने के साथ जाकिर शेख संस्था छोड़ चुके हैं। 

हालांकि संस्था का कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया और वे तो समाज सेवा कर रहे हैं। संस्था के संचालक रवि महाजन का कहना था कि सब काम कानून के तहत हुआ है। 200 एकड़ को लेकर अपने विजन के बारे में उन्होंने कहा कि, 'मैं खांडव वन को इंद्रप्रस्थ में बदलने का ध्येय रखता हूं। मैं अन्ना हजारे, बाबा आमटे से प्रेरित रहा हूं। हमने भी ये कल्पना की कि यहां ग्रीनलैंड बनाया जाए।' उन्होंने तंजीम ए जरखेज का मतलब "बेकार जमीन को उपजाऊ बनाना" बताया। नाम बदलने के कारणों को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि तंजीम ए जरखेज का भावार्थ समाज नहीं समझ रहा था, इसलिये नाम बदला गया।

बजरंग दल के प्रांत सहसंयोजक रह चुके रणजीत डांडीर जो अब बीजेपी में है, वे इस संस्था के अध्यक्ष हैं। डांडीर का पुराना क्रिमिनल बैकग्राउंड रहा है। वे स्वयं बताते हैं कि सात बार जेल जा चुके हैं और मर्डर केस के भी आरोपी रहे हैं। डांडीर के मुताबिक वे उस जमीन पर बड़ा सा गौशाला खोलना चाहते हैं।