MP Lockdown: लॉकडाउन में तामिया ब्लॉक में बिकी 548 बाइक

Lockdown Impact: आर्थिक संकट के दौर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था बनी सहारा, आदिवासी इलाकों में बड़ा बाइक का क्रेज़

Updated: Aug 31, 2020, 06:24 AM IST

छिंदवाड़ा। पूरा विश्व जहां कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में आर्थिक संकटों से घिर गया वहीं आदिवासी बहुल पातालकोट पूरी दुनिया के उलट समृद्ध हुआ है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरे क्षेत्र के लिए सहारा बनकर सामने आई है। संभवतः यह पहला मौका होगा जब बाज़ार बंद होने के बाद भी इतनी वनोपज संग्रहित की गई कि व्यापारियों के पास वनोपज खरीदने के लिये धन की कमी हो गई। वनांचल के अकेले तामिया विकासखंड में लॉकडाउन के दौरान 548 से ज़्यादा बाइक ख़रीदी गईं।  

अनुभव बता रहे हैं कि पर्यटन स्थल के रूप में चर्चित पातालकोट, लॉकडाउन के दुष्प्रभावों से लगभग अप्रभावित बना रहा है। पातालकोट इलाके के 12 ग्रामों में लॉकडाउन का ग्रामीणों की दिनचर्या पर बहुत ज्यादा असर नहीं  पडा। जहां शहरों में आवाजाही बंद रही, वहीं ग्रामीण दिनचर्या में खेत पर आवाजाही सहित अन्य कामकाज जारी रहे। चूंकि जनजातीय लोगों की आय के अनेक साधन जैसे, मनरेगा और अन्य मजदूरी, वनोपज और कृषि उपज हैं और उन्हें शासकीय योजनाओं का लाभ भी मिलता रहा इसीलिए आदिवासी अर्थव्यस्था में लॉकडाउन का कोई खास असर नहीं पड़ा।

हालांकि, लॉकडाउन के पहले चरण में पातालकोट क्षेत्र के छिंदी, देलाखारी, अंखावाडी, लोटिया में लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजार बंद हुए और इस से ग्रामीणों को थोड़ी दिक्कत भी हुई। लेकिन कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा मार्च में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सहकारी समिति की राशन दुकानों से एकमुश्त तीन माह का राशन देने का निर्णय ग्रामीणों के लिये सुविधाजनक रहा। 

लॉकडाउन के दूसरे चरण में वनोपज व्यापारी गांवों तक पहुंचे। इससे ग्रामीणों की वनोपज तो बिक गई मगर उन्हें बाजार की तुलना में वनोपज की कम कीमत मिली और इस कारण उन्हें नुकसान उठाना पडा। वनोपज व्यापारी सुनील साहू ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जहां हर जगह परेशानियां देखी गई वहीं पातालकोट के जनजातीय परिवार पहले से बेहतर स्थिति में आ गए हैं। पहले हर परिवार के एक या दो सदस्य को छोड़कर सभी बाहर कामकरने जाते थे ऐसे मे वनोपज संग्रहण का काम घर में रहने वाले लोग ही किया करते थे। लॉकडाउन के कारण आवाजाही बंद हुई तो परिवार के सभी सदस्यों ने वनोपज संग्रहण किया। यही कारण है कि लॉकडाउन के दौरान पातालकोट के सिर्फ 12 गांवों में ही लाखों का वनोपज व्यवसाय हुआ। मध्यप्रदेश की विशेष पिछडी जनजाति भारिया की छिंदवाडा जिले के तामिया ब्लाक में स्थित राजधानी पातालकोट के सभी ग्रामों में बड़ी मात्रा में वनोपज संग्रहण हुआ। ऐसा मौका पहली बार आया जब व्यापारियों के पास वनोपज खरीदने के लिये धन की कमी हो गई।  

वनोपज का संग्रहण 

पातालकोट के 12 ग्रामों में इस साल निवासियों ने तामिया, देलाखारी, छिंदी के अलावा हर्रई के बटकाखापा, अमरवाडा केबाजार में वनोपज का विक्रय किया। सर्वाधिक विक्रय के बाद भी कई परिवारों के पास अभी भी बड़ी मात्रा में वनोपज रखी हुई है। उचित दाम मिलने पर इन्हें बेचा जाएगा। 

मनरेगा ने दिया संबल 

मनरेगा और तेंदुपत्ता के सरकारी काम शुरु होने से भी स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है। जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र सिंहनागेश की अगुआई में स्थानीय और प्रवासी मजदूरों को काम प्रदान कर उन्हें आर्थिक संबल दिया गया। मनरेगा के तहत गांवों में मेड बंधान, तालाब सुधार और निर्माण जैसे कार्य हुए। तामिया मे  आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन के बाद अब तक एक हजार420 प्रवासी मजदूर अपने घर लौटे। इनमें से 870 मज़दूरों को काम पर लगाया गया। 16040 मानव दिवस सृजित कर कार्यकरवाए गए। इन मज़दूरों को 30 लाख 47 हजार की राशि प्रदान की गई। तामिया में मनरेगा में कुल मिलाकर 16 हजार 899 परिवारों के 27 हजार 494 मजदूरों को रोजगार मिला। इस दौरान 5 लाख 42 हजार 387 मानव दिवस सृजित हुए। अब तक इन मज़दूरों को 8 करोड 80 लाख 21 हजार रूपए का भुगतान हुआ है। 

आय हुई तो ऑटोमोबाइल बाज़ार को मिली ताक़त 

लॉकडाउन में ग्रामीणों की आय में बढ़ोतरी होने पर बाज़ार में नक़दी भी पहुंची। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था चलती रही। ठप नहीं हुई। बाज़ार की समृद्धि का अंदाज़ा केवल ऑटोमोबाइल सेक्टर के आंकड़ों को देख कर लगाया जा सकता है। तामिया में लॉकडाउन में छूट के बाद 18 मई से 7 अगस्त के बीच क्षेत्र में मोटर सायकिल बिक्री का रिकार्ड पार कर गया। ऑटोमोबाइल कंपनियों से मिली जानकारी के अनुसार तामिया में लॉकडाउन के बाद से सबसे ज्यादा मोटर सायकिल पातालकोट के निवासियों ने खरीदी हैं। जबकि हर साल ऑटोमोबाइल सब डीलर दशहरा दीपावली से समय अधिक व्यवसाय करते हैं। इस बार उनकी दिवाली पहले ही मन गई। तामिया के श्रीकृष्णा ऑटोमोबाइल के संचालक एडवोकेट हरभजन साहू ने बताया कि हीरो कंपनी के 248 दोपहिया वाहन बिके हैं। 18 से 31 मई तक 55, जून में 106, जुलाई में 77 तथा अगस्त के पहले सप्ताह में 10 दो पहिया वाहन बेचे गए। बजाज कंपनी के सब डीलर जतिन ऑटोमोबाइल्स इस बार बजाज कंपनी में वाहन बिक्री को लेकर जिले में अव्वल रही। इसके संचालक अनिल क्षत्रिय ने बताया कि जून और जुलाई मे कुल 170 वाहनो की बिक्री हुई है। आनंद ऑटोमोबाइल के मनमोहन साहू ने बताया कि होंडा के 50 से अधिक दो पहिया वाहन बिके हैं। पटेल टीवीएस के मनीष पटेल ने बताया कि अनलॉक के बाद अब तक 70 से अधिक वाहन बेचे गए हैं। इसी दौरान कंपनी का स्टाक खत्म होने से पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पाई, अन्यथा यह संख्या अधिक होती। 

स्वच्छता के प्रति जागरूकता जरुरी 

आगामी चुनौतियों के बारे में पातालकोट क्षेत्र के पवन श्रीवास्तव ने बताया कि इस समय सर्वाधिक आवश्यकता स्वच्छ रहन सहन की है। शौचालय कीसफाई और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव, साफ कपड़ों का उपयोग जैसी जागरुकता की कमी देखी जा रही है। महामारी से निपटने के लिये ग्रामीणों को जागरुक करने की जरुरत है।

पातालकोट क्षेत्र एक नजर में 

छिंदवाडा जिले के तामिया विकासखंड के पातालकोट क्षेत्र के 12 ग्रामों में मध्यप्रदेश की तीन विशेष पिछडी जनजातियों में सेएक भारिया जनजाति के लोग निवास करते हैं। पातालकोट के 12 ग्रामों के समूह को पातालकोट कहा जाता है। तीन ग्रामपंचायत हर्राकछार, रातेड, कारेआम घटलिंगा में कुल 12 ग्राम और मंजरेटोले शामिल है। पातालकोट के ग्रामों में कारेयामरातेड, चिमटीपुर, हर्राकछार, जढमादल, सहरापंचगोल, धुरनीमालनी, सूखाभंड हारमऊ, पलानीगैलडुब्बा, घानाकौडिया, घटलिंगा, गुडीछतरी, दौरियापाठा प्रमुख हैं। इसमें 32 ढाने, मंजरे टोले शामिल है। 26 जून 1978 इस क्षेत्र के विकास के लिए पातालकोट भारिया विकास अभिकरण की स्थापना की गई थी। पातालकोट की नैसर्गिक संरचना 1200 से 1500 फीट गहराई लिए हुए विस्तृत घाटियों का मनोरम भू भाग है जो सतपुड़ा पर्वतकी परतदार उंची किलेनुमा श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। यह अद्वितीय विहंगम स्थल जिला मुख्यालय छिंदवाडा से उत्तर पश्चिमकी ओर 62 किलो मीटर तथा तामिया से पूर्व उत्तर की ओर 23 किमी पर बिजौरी से हर्रई मार्ग के पास स्थित है।