PM, CM और मंत्रियों को हटाने वाले बिल पर संसद में संग्राम, कांग्रेस ने बताया संविधान विरोधी
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ये बिल विपक्षी दलों की सरकार को निशाना बनाने के लिए लाया जा रहा है। ये बिल नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जैसे लोगों को डराने के लिए लाया जा रहा है।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार या हिरासत में लिए जाने पर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाने का प्रावधान करने के लिए बुधवार को संसद में तीन बिल पेश किए। लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने इन बिलों को पेश किया।
गृहमंत्री शाह ने केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 बिल को लोकसभा के पटल पर रखा। विपक्षी सांसदों ने इसका पुरजोर विरोध किया। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और असदुद्दीन ओवैसी ने इसे संविधान विरोधी बताया।
इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह विपक्ष के जारी हंगामे के बीच अपनी सीट पर खड़े हुए। उन्होंने कहा कि अब आप मेरी बात सुनो, मुझपर जब आरोप लगाया गया था उस दौरान मैंने गिरफ्तार होने से पहले नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दिया था। और जब तक मैं कोर्ट से निर्दोष साबित नहीं हुआ मैंने कोई संवैधानिक पद नहीं लिया। ये क्या सीखाते हैं नैतिकता मुझे। हम भी चाहते हैं कि नैतिकता के मूल्य और बढ़े। गिरफ्तार होने से पहले मैंने इस्तीफा दिया था। ये सबको याद होगा।
लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा इन विधेयकों को पेश करने के बाद सदन में जोरदार हंगामा शुरू हो गया। जारी हंगामे के बीच कांग्रेस पार्टी ने सरकार के इन तीनों विधेयक का विरोध किया। कांग्रेस ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह इस बिल को वापस ले। केसी वेणुगोपाल ने कहा कि हम इस बिल का विरोध करते हैं। ये बिल देश के संविधान के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये बिल विपक्ष दलों की सरकार (राज्य सरकार) को निशाना बनाने के लिए लाया जा रहा है। ये बिल नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जैसे लोगों को डराने के लिए लाया जा रहा है।
सासंद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस बिल का विरोध किया। ओवैसी ने कहा ये बिल कहीं से भी सही नहीं है। ऐसे में मैं और मेरी पार्टी इसका विरोध करती है। ये बिल कई नियमों की अनदेखी करते हैं। ये सही नहीं है। हम इस बिल के खिलाफ हैं। कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि भारत का संविधान का मूल ढांचा कहता है कि कानून का राज होना चाहिए। कानून के राज की बुनियाद है कि आप बेगुनाह हैं, जब तक आपका गुनाह साबित नहीं होता, आप बेगुनाह हैं।