MP School Education: 13 हजार सरकारी स्कूल होंगे बंद

Shivraj Singh Chouhan: MP सरकार ने 20 से कम विद्यार्थियों वाले स्कूलों को बंद करने की तैयारी की, शिक्षा का निजीकरण बढ़ने की आशंका

Updated: Aug 11, 2020, 03:51 AM IST

photo courtesy : fox business network
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भोपाल। ड्रॉप आउट यानी बच्चों के स्कूल छोड़ देने की समस्या से जूझ रहे मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान  सरकार कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को बंद करने जा रही है। राज्य के 20 से कम विद्यार्थियों वाले सरकारी स्कूलों को बंद करने की तैयारी है। इस संबंध में राज्य शिक्षा केंद्र ने जिलाधिकारियों को उनके कार्यक्षेत्र मे 20 से कम छात्रों की संख्या वाले स्कूलों के बारे में जानकारी देने के लिए कहा है। 

कितने स्कूल बंद होंगे ? 
राज्य भर में लगभग 12,876 स्कूल ऐसे हैं जिनमें पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 20 से कम है।स्कूल शिक्षा विभाग का नियम यह कहता है कि राज्य में किसी मिडिल स्कूल को संचालित करने के लिए उस विद्यालय में कम से कम 20 छात्रों की मौजूदगी अपेक्षित है। वहीं प्राइमरी स्कूलों के लिए मानदंड कुल 40 छात्रों का है। ऐसे में राज्य भर के ऐसे स्कूलों पर ताला जड़ दिया जाएगा जो इन मानदंडों पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं। 

स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक कहाँ जाएंगे ? 

राज्य सरकार के प्रदेश के लगभग 12,786 स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा लेकिन इन सब के बीच यह सवाल उठना लाज़मी है कि इन स्कूलों में नौकरी करने वाले शिक्षकों का क्या होगा? ये कहाँ जाएंगे ? राज्य शिक्षा केंद्र ने अपने आदेश में बताया है कि प्रदेश में हज़ारों स्कूल ऐसे हैं, जिनमें कहीं छात्र हैं तो शिक्षक नहीं हैं। शिक्षक हैं, तो छात्र नहीं है। राज्य शिक्षा केंद्र के मुताबिक प्रदेश में इसी अनुपात को सुधारने के लिए राज्य के कुछ स्कूलों को बंद किया जा रहा है। शिक्षा केंद्र के अनुसार बंद होने वाले स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को नज़दीकी स्कूलों में शिफ्ट कर दिया जाएगा। 

दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार राज्य में बीस से कम संख्या वाले स्कूल इन ज़िलों में है, भिंड- 358, देवास- 300, बड़वानी- 326, राजगढ़- 429, विदिशा- 368, खरगोन- 365, नरसिंहपुर- 341, छिंदवाड़ा- 518, सिवनी- 550, मंडला- 513, बालाघाट- 360, रीवा- 493, सतना में 606 स्कूल ऐसे हैं जिनमें छात्रों की संख्या 20 से भी कम है।तो वहीं भिंड में 16, श्योपुर-10, देवास-18,शिवपुरी-16, उज्जैन-19, इंदौर-10,धार-21,खरगोन-27, सागर-48,दमोह-27 और पन्ना में 27 स्कूल ऐसे हैं जिनमें एक भी छात्र नहीं है।

निजीकरण बढ़ेगा, पहुँच से दूर होगा स्कूल 

शिक्षा अधिकार मंच के लोकेश मालती प्रकाश के अनुसार खर्च बचाने के लिहाज से यह ठीक लगता है कि जहां बच्चे और शिक्षक नहीं हैं उन स्कूलों को बंद कर देना चाहिए। या स्कूलों को मर्ज़ कर देना चाहिए। BJP सरकार 2018 में भी हज़ारों स्कूल बंद कर चुकी है। मगर इसका दूसरा पक्ष यह है कि पास का स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई बंद होने लगेगी। माता पिता लड़कियों को आठवीं बाद दूर के स्कूल में नहीं भेजते हैं। लड़कियों का आगे पढ़ना और मुश्किल होगा। सरकार को समझना होगा कि सरकारी स्कूल बंद होंगे तो प्रायवेट स्कूल खुल जाएँगे। जो माता पिता बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं उन्हें अधिक फीस देनी होगी। जो फीस नहीं ड़े सकते उनके बच्चे स्कूल नहीं जाएँगे। सरकार को कम पंजीयन वाले स्कूलों को बंद करने की जगह सोचना चाहिए कि बच्चे स्कूल क्यों नहीं आ रहे हैं। उसे शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर ध्यान देना चाहिए।