बर्ड फ्लू की चपेट में आए मध्य प्रदेश के 32 जिले, राज्य में 4 हजार कौवों और जंगली पक्षियों की मौत

झाबुआ, हरदा व मंदसौर के पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू से हड़कंप, मुर्गे-मुर्गियों को मारकर दफनाया गया, पशुपालन मंत्री की पोल्ट्री व्यवसायियों से सतर्कता बरतने की अपील

Updated: Jan 20, 2021, 05:16 AM IST

Photo Courtesy: Britannica
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भोपाल। मध्य प्रदेश के 32 जिले बर्ड फ्लू के खतरनाक वायरस के चपेट में आ गए हैं। राज्य के तीन जिले झाबुआ, हरदा व मंदसौर के पॉल्ट्री फार्म में भी बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। पॉल्ट्री फार्म तक बर्ड फ्लू के पहुंचने से हड़कंप मच गया है। प्रशासन ने इन तीनों जिले में मुर्गे-मुर्गियों को मारकर दफनाने की कार्रवाई की है। वहीं राज्य के पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने पॉल्ट्री व्यवसायियों से विशेष सतर्कता बरतने की अपील की है।

पशुपालन विभाग के मुताबिक राज्य में बीते 26 दिसंबर से अबतक 3,892 कौओं व जंगली पक्षियों की बर्ड फ्लू से मौत हो चुकी है। मामले पर मध्यप्रदेश के पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने कहा कि प्रदेश में कौओं की मृत्यु से आरंभ हुआ बर्ड फ्लू राज्य के तीन जिलों के पॉल्‍ट्री फार्म सहित 32 जिलों में पहुंच चुका है। उन्होंने बताया कि झाबुआ, हरदा और मंदसौर में कुक्कुट फार्म में वायरस मिलने से मुर्गे-मुर्गियों को मार कर दफनाने और भारत शासन द्वारा जारी परामर्श के अनुसार कार्रवाई की गई है।

राज्य के 29 अन्य जिले जहां बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है उनमें भोपाल, इंदौर, आगर, नीमच, देवास, उज्जैन, खंडवा, खरगोन, गुना, शिवपुरी, राजगढ़, शाजापुर, विदिशा, दतिया, अशोकनगर, बड़वानी, होशंगाबाद, बुरहानपुर, छिन्दवाड़ा, डिंडोरी, मंडला, सागर, धार, सतना, पन्ना, बालाघाट, श्योपुर, छतरपुर और रायसेन शामिल हैं। 

पशुपालन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मुर्गियों में बर्ड फ्लू को खतरनाक माना जाता है, क्योंकि इनके उत्पाद जैसे अंडे, मांस आदि खाने में उपयोग होते हैं। यही वजह है कि झाबुआ, हरदा व मंदसौर में बड़ी संख्या में मुर्गे-मुर्गियों व अंडों को नष्ट किया गया है। विभाग का ध्यान अब उन जिलों पर है जहां बर्ड फ्लू के एक भी मामले नहीं आए हैं। उन जिलों के संबंधित अधिकारियों को अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है।

राज्य के पशुपालन मंत्री ने लोगों से अपील की है कि वे पक्षियों अथवा मुर्गियों में अप्राकृतिक मृत्यु की सूचना मिलते ही तत्काल अपने जिले के नियंत्रण-कक्ष को सूचित करें। साथ ही एवियन इन्फ्लूएंजा से बचाव व रोकथाम के तरीकों का भरपूर प्रचार प्रसार करने को कहा है। साथ ही किसी भी तरह की आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिये आवश्यक पीपीई किट्स, उपकरण व दवाइयों के स्टॉक तैयार रखने के निर्देश भी दिए गए हैं।