2000KM का सफर तय कर गंधवानी पहुंची आदिवासी स्वाभिमान यात्रा, भूरिया बोले- MP में परिवर्तन तय

कांग्रेस पार्टी की 2300 किमी की यह यात्रा 19 जुलाई को सीधी से शुरू हुई थी जो 7 अगस्त को झाबुआ पहुंचेंगी

Updated: Aug 05, 2023, 06:56 PM IST

झाबुआ। भाजपा सरकार में आदिवासी वर्ग पर हर दिन हो रहे अत्याचार और विभिन्न घटनाओं को लेकर कांग्रेस ने आदिवासी स्वाभिमान यात्रा निकाली है। यह यात्रा शनिवार शाम को गंधवानी विधानसभा पहुंची। यात्रा के आगमन पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया। यात्रा का नेतृत्व कर रहे डॉ विक्रांत भूरिया ने बताया कि हम दो हजार किमी का सफर तय कर गंधवानी पहुंचे हैं, जनता का जबरदस्त रिस्पांस मिल रहा है, इस बार परिवर्तन तय है। 

युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया ने भाजपा सरकार निशाना साधते हुए कई आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार एवं शोषण की घटनाएं बढ़ रही हैं। मध्य प्रदेश में सरकार विफल साबित हो रही है। मणिपुर कांड आप सभी ने देखा है। विक्रांत भूरिया ने कहा कि सीधी में आदिवासी पर पेशाब करने की शर्मनाक हरकत की गई। सिंगरौली में भाजपा विधायक के बेटे ने आदिवासी पर गोली चलाई और नेमावर, नीमच, गुना, सिवनी की घटनाएं आप सबके सामने हैं। 

यात्रा को लेकर डॉ भूरिया ने कहा कि आदिवासी स्वाभिमान को जगृत करने के लिए इस यात्रा की शुरुआत सीधी जिले से की गई है, जो प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की 33 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गंधवानी पहुंची है। यात्रा का अगला पड़ाव जोबट होगा और सोमवार को झाबुआ में यात्रा का समापन होगा। हमें लोगों का काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। ट्विटर पर भी आज आदिवासी स्वाभिमान यात्रा ट्रेंड कर रहा था। उन्होंने कहा की प्रदेश के आदिवासियों ने शिवराज सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया है। 

बता दें कि यह यात्रा सीधी जिले से शुरू होकर धौहानी, ब्योहारी, मानपुर, जयसिंहनगर, जैतपुर, अनूपपुर, पुष्पराजगंज, डिंडोरी, शाहपुर, निवास, मंडला, बिछिया, बैहारी, पारसवाड़ा, बारघाट, लखनादोन, अमरवाड़ा, जुन्नारदेव, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही, टिमरनी, हरसूद, पंधाना, नेपानगर, भीकनगांव, भगवानपुरा, सेंधवा, पानसेमल, बड़वानी, कुक्षी, मनावर, धरमपुरी होते हुए गंधवानी पहुंची। 

खास बात ये है कि सीधी विधानसभा छोड़कर अन्य सभी 35 विधानसभा क्षेत्र आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीट में से 47 सीट आदिवासी यानी जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं, जबकि 22 फीसदी आदिवासी वोटर्स हैं।ऐसे में राजनीतिक दृष्टिकोण से ये बड़ा वोट बैंक है। इस वर्ग को साधना काफी अहम है।