एमपी के पशुपालन मंत्री को नहीं पता कि कितने ज़िलों में फैला है बर्ड फ्लू, पत्रकार को फटकारा

जब आँकड़े ही नहीं पता तो रोकथाम का क्या ही इंतज़ाम होगा.. सरकार के मंत्री प्रेम सिंह पटेल को पीए से पूछना पड़ा वास्तविक आंकड़ा

Updated: Jan 21, 2021, 10:02 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में इस समय बर्ड फ्लू का संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है। एक तरफ सरकारी दावा है कि बर्ड फ्लू के फैलाव रोकने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन दूसरी तरफ संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए ज़िम्मेदार पशुपालन विभाग के मंत्री को ही नहीं पता कि आखिर प्रदेश के कितने ज़िलों में बर्ड फ्लू का संक्रमण फैला है। पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने अपने ही बयान से सरकारी दावों की पोल खोल दी है। 

दरअसल पशुपालन मंत्री से आज एक मीडियाकर्मी ने बर्ड फ्लू को लेकर सवाल पूछना चाहा। मीडियाकर्मी ने इतना कहा ही था, 'प्रदेश के 32 ज़िलों में बर्ड फ्लू का संक्रमण फैल गया है' कि तभी पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने मीडियाकर्मी को डपटते हुए कहा कि 32 ज़िलों में संक्रमण नहीं है, तुम्हें जानकारी नहीं है। 32 ज़िलों में नहीं है।' 

इसके बाद पशुपालन मंत्री को थोड़ा संदेह हुआ तो गाड़ी में मौजूद अपने पीए से पूछने के लिए पीछे मुड़े। पशुपालन मंत्री ने पहले तो अपने पीए को भी बड़े विश्वास से कहा कि 16 ज़िलों में संक्रमण फैला है। लेकिन जब खुद मंत्री जी के पीए ने भी कहा कि प्रदेश के 32 ज़िलों में बर्ड फ्लू का संक्रमण फैला है, तब जाकर प्रेम सिंह पटेल ने माना कि प्रदेश के 32 ज़िलों में बर्ड फ्लू का संक्रमण फैला है। 

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विडंबना देखिए जो विभाग ही प्रदेश में बर्ड फ्लू होने की पुष्टि करता है, जिस संक्रमण को रोकने की ज़िम्मेदारी जिस विभाग पर है, उसी विभाग के मंत्री को नहीं पता कि बर्ड फ्लू आखिर प्रदेश के कितने ज़िलों में फैला है? प्रदेश के 32 ज़िले बर्ड फ्लू की चपेट में आ गए हैं, 4 हज़ार के लगभग कौवों और जंगली पक्षियों की मौत भी हो चुकी है। लेकिन खुद विभागीय मंत्री का आंकड़ा अभी तक 16 ज़िलों तक ही अटका है। विभागीय मंत्री जी तो एक दो ज़िले नहीं, पूरे सोलह जिलों के आंकड़ों में गड़बड़ा गए। 

 मंत्री जी जानकारी से कितने दूर हैं यह देखकर कहीं न कहीं यह सवाल ज़रूर खड़ा होता है कि खुद पशुपालन मंत्री इस संक्रमण के रोकथाम के लिए कितने सक्रिय हैं? और जब मंत्री ही सक्रिय नहीं हैं तो बर्ड फ्लू को रोकने के लिए विभाग द्वारा कितना काम किया जा रहा होगा, इस पर भी सवालिया निशान खड़ा होता है।