भिंड-मुरैना में खाद संकट बरकरार, दिनभर भूखे-प्यासे कतार में खड़े रहते किसान, शाम को उदास होकर लौटते हैं घर

मासूम बच्चों को गोद में लेकर महिलाएं भी लाइन में खड़ी रहती हैं, सात दिन से प्रतिदिन लाइन में लगने के बाद भी नहीं मिला खाद, भूख से बिलबिलाते रहते हैं बच्चे, मध्य प्रदेश में अन्नदाताओं की दुर्दशा

Updated: Nov 14, 2022, 01:43 PM IST

मुरैना। मध्य प्रदेश के किसान खाद संकट से जूझ रहे हैं। अधिकांश जिलों में बोवनी के लिए खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है। एक-एक बोरी खाद के लिए किसान सात दिनों से कतार में खड़े हैं। लेकिन शाम को हताश होकर घर खाली हाथ घर लौटने को मजबूर हैं।

मुरैना जिले के जौरा में किसान पिछले एक हफ्ते से खाद के लिए तरस रहे हैं। यहां किसान पिछले चार दिनों से हर दिन सुबह आते हैं और शाम को खाली हाथ वापस लौट जाते हैं। कुछ किसानों को खाद मिल जाता है, लेकिन अधिकांश खाली हाथ लौट रहे हैं। हालत यह है कि महिलाएं भी अपने घर का काम-काज छोड़कर खाद के लिए लाइन में लगने को मजबूर हैं। दिन भर लाइन में लगे रहने के बावजूद खाद न मिलने पर शाम को वे रूआंसा मुंह लेकर घर लौट जाती हैं।

महिलाएं अपने घर का काम-काज छोड़कर खाद लेने के लिए दूर-दराज के गांवों से आती हैं। वे काफी सुबह से ही लाइन में भूखी-प्यासी लग जाती हैं, देर शाम तक यूं ही लगी रहती हैं। लेकिन खाद नहीं मिल पाती है। घर में उनके बच्चे यह सोचकर उनका इंतजार करते रहते हैं कि माता-पिता खाद लेकर लौटेंगे जिससे उन्हें दूसरे दिन नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन अगले दिन फिर वही होता है। पिछले चार दिन से यही हालात हैं। 

कुछ महिलाएं जिनके बच्चे छोटे हैं, वे अपने बच्चों को साथ लेकर आती हैं। मां लाइन में लगी होती है और बच्चे भूख से बिलबिलाते रहते हैं। जब भूख बर्दाश्त नहीं होती तो दुकान से बिस्किट लेकर बच्चों को खिला देती हैं। पुरे दिन की यही कहानी है। पांच रुपए का बिस्किट खाकर छोटे बच्चों को भी पूरा दिन गुजरना पड़ता है। 

मुंद्रावजा गांव निवासी देवेन्द्र सिंह कुशवाह ने बताया कि वे पिछले सात दिनों से हर दिन सुबह आकर लाइन में लग जाते हैं और शाम को मायूस होकर लौट जाते हैं, लेकिन उनको खाद नहीं मिल सका है। हर दिन सुबह जल्दी आना और लाइन लगाकर खड़े रहना उनकी दिनचर्या बन गई है। यही कहानी भिंड के किसानों की भी है। 

भिंड जिले के किसान उत्तर प्रदेश के इटावा, जालौन, कोंच व झांसी पहुंचकर खाद की बोरी प्राइवेट डीलरों से खरीद कर ला रहे है। यहां से किसान महंगे दामों में डीएपी और यूरिया को खरीद रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर समय पर उन्हें खाद नहीं मिला तो उनकी फसल को नुकसान होने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा। यह समय खाद के लिए सबसे अहम है। 

उधर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार यह दावा कर रहे हैं कि खाद की कोई कमी नहीं है। प्रदेश में पर्याप्त खाद है। प्रशासनिक अधिकारी भी खाद की किल्लत को नहीं स्वीकार रहे हैं। हालांकि, जमीनी हकीकत सबकुछ बयां कर रही है।